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    'दो सीजन तक MSP पर फसल नहीं बेच पाएंगे पराली जलाने वाले किसान, कृषि विभाग ने दी चेतावनी

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 03:59 PM (IST)

    पलवल जिले में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। किसानों को जागरूक करने के लिए गांवों में अभियान चलाया जा रहा है। पराली जलाने पर भारी जुर्माने और सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। किसानों को पराली प्रबंधन के आधुनिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है और प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया गया है।

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    किसानों को जागरूक करते हुए कृषि अधिकारी- विभाग

    जागरण संवाददाता, पलवल। जिले में फसल अवशेषों (पराली) को जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। कृषि विभाग ने सोमवार को जिले के पलवल, होडल, हथीन, हसनपुर खंडों के गांवों में जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करना और इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में सचेत करना है।

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    कृषि अधिकारी अतुल शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग ने किसानों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई किसान अपने खेतों में फसल अवशेषों को जलाता पाया गया, तो उस पर 5,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये तक का भारी जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, दोषी किसानों के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।

    सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई के तहत, पराली जलाने वाले किसानों की मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री दर्ज की जाएगी। इसके परिणामस्वरूप, किसान दो सीजन तक अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) पर नहीं बेच पाएंगे।

    किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है।

    जागरूकता अभियान के दौरान कृषि कर्मचारियों ने किसानों को पराली प्रबंधन के आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों की जानकारी दी। बेलर मशीन, सुपर सीडर, मल्चर मशीन और चापर जैसे उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग के तरीके बताए गए, जिनसे इन-सीटू (खेत में ही) या एक्स-सीटू (खेत से बाहर) प्रबंधन किया जा सकता है।

    अतुल शर्मा ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के कई लाभ बताए। उन्होंने कहा कि इससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है। पोषक तत्वों का भंडार मजबूत होता है। जल धारण क्षमता में सुधार और जैव विविधता में बढ़ोतरी होती है। यह पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

    उन्होंने बताया कि कृषि विभाग गांवों में किसानों के साथ-साथ विद्यालय स्तर पर भी रैलियों का आयोजन कर रहा है। इन रैलियों के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण प्रदूषण के बारे में जागरूक किया जा रहा है और उन्हें शपथ दिलाई जा रही है, ताकि वे अपने परिवारजनों को भी पराली न जलाने के लिए प्रेरित कर सकें।