Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए सरकार ने दी तमाम सुविधाएं, कुछ ऐसा हुआ कि खत्म नहीं हुईं किसानों की समस्याएं

    हसनपुर के किसान ई-मुआवजा पोर्टल न खुलने से परेशान हैं। भारी बारिश और जलभराव से फसलों को नुकसान हुआ है जिसके लिए सरकार ने पोर्टल खोला है। किसान पंजीकरण कराने के लिए सीएससी सेंटर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन पोर्टल नहीं खुल रहा। यमुना में जलस्तर बढ़ने से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

    By Ankur Agnihotri Edited By: Rajesh Kumar Updated: Sat, 23 Aug 2025 02:52 PM (IST)
    Hero Image
    हसनपुर के किसान ई-मुआवजा पोर्टल न खुलने से परेशान हैं। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हसनपुर। भारी बारिश और जलभराव से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने 31 अगस्त तक ई-मुआवजा पोर्टल खोल दिया है, लेकिन पोर्टल न खुलने से खादर के किसान पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं। इसे लेकर वे परेशान हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    किसानों का कहना है कि पोर्टल न खुलने से उन्हें अपनी फसलों के नुकसान का पंजीकरण कराने के लिए बार-बार सीएससी सेंटर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अगर पोर्टल ही नहीं खुलेगा तो पंजीकरण कैसे होगा?

    बता दें कि पिछले सप्ताह हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से यमुना किनारे खादर क्षेत्र के किसानों की हजारों एकड़ धान, लौकी, तोरई, बैंगन, भिंडी, टमाटर, मिर्च, पेठा आदि की फसलें बर्बाद हो गई थीं। अब यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन जलस्तर कम होने के बाद किसानों की बर्बादी के निशान छोड़ गया है।

    किसानों को आर्थिक संकट का सामना 

    खादर क्षेत्र में ज़्यादातर किसानों की आजीविका का एकमात्र साधन खेती-बाड़ी ही है। वे ज़मीन पट्टे पर लेकर खेती करते हैं। फसल बिकने के बाद पट्टे का पैसा ज़मीन मालिक को दे दिया जाता है। लेकिन इस बार यमुना का जलस्तर बढ़ने से किसानों की धान और सब्ज़ी की फ़सलें बर्बाद हो गईं।

    पट्टे पर रहने वाले किसानों का कहना है कि फ़सल बर्बाद होने के बाद वे भुगतान कैसे करेंगे। उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। सारी मेहनत पानी में डूब गई।

    ई-मुआवज़ा पोर्टल न खुलने के कारण पंजीकरण नहीं हो पाया। फ़सल के नुकसान की भरपाई कैसे होगी? हम भूखे मर जाएँगे।

    -मोहन सिंह, निवासी लहरपुर

    यमुना का जलस्तर बढ़ने से मेरी पूरी सब्ज़ी की फ़सल पानी में डूब गई, अब हम सरकार से मुआवज़े का इंतज़ार कर रहे हैं।

    -गोपाल सिंह, किसान

    ई-मुआवज़ा पोर्टल में हसनपुर का विकल्प न होने के कारण किसानों की फ़सल के नुकसान का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है, जिससे किसानों को परेशानी हो रही है।

    -सुभाष चंद, किसान

    सरकार द्वारा किसानों के नुकसान के लिए शुरू किया गया ई-मुआवज़ा पोर्टल न खुलने के कारण किसानों को बार-बार सीएससी केंद्र के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अगर पोर्टल ही नहीं खुलेगा, तो किसानों के नुकसान की भरपाई कैसे होगी?

    -डाल चंद, किसान

    ई-मुआवज़ा पोर्टल पर केवल उन्हीं किसानों का फसल नुकसान दर्ज होगा जिन्होंने 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' के लिए पंजीकरण कराया है। हाँ, कुछ तकनीकी समस्या के कारण कुछ समय के लिए दिक्कत हुई थी। अब पोर्टल खुल रहा है।

    -मोहम्मद खान, नायब तहसीलदार, हसनपुर