हरियाणा के पलवल में बुखार ने बरपाया कहर, बच्चों समेत 6 लोगों की मौत
जिले में बुखार का कहर जारी है। बुखार से मौत के छह और मामले सामने आए हैं। शहर के सिविल लाइन इलाके में चार और हसनपुर गांव में एक की मौत हुई है। गुरुवार को नलहड़ मेडिकल कालेज नूंह में गांव चिल्ली निवासी चार वर्षीय बच्ची ने दम तोड़ दिया।

पलवल, जागरण संवाददाता। जिले में बुखार का कहर जारी है। शुक्रवार को बुखार से मौत के छह और मामले सामने आए हैं। शहर के सिविल लाइन इलाके में चार और हसनपुर गांव में एक की मौत हुई है, जबकि गुरुवार को नलहड़ मेडिकल कालेज नूंह में गांव चिल्ली निवासी चार वर्षीय बच्ची ने दम तोड़ दिया। इस तरह जिले में अब तक 21 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, चिल्ली गांव के चार बच्चों को गंभीर अवस्था में पलवल स्थित अस्पताल रेफर किया गया है। इस गांव में अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। बुखार से रोजाना मौत के नए मामले सामने आ रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
सिविल लाइन के वार्ड नंबर 24 के पार्षद देवदत्त शर्मा के अनुसार, इलाके में पिछले 20 दिनों में दो बच्चों, एक युवक और एक महिला की मौत हो चुकी है। पहले 35 वर्षीय एक व्यक्ति को बुखार आया। दो दिन बाद स्वजन उसे फरीदाबाद के निजी अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इसके चार दिन बाद 13 वर्ष के किशोर को बुखार आया था और उसके दो दिन बाद उसकी भी मौत हो गई। 14 दिन पहले तीन वर्षीय बच्ची को बुखार आया और दो दिन बाद उल्टी हुई। इससे उसकी भी मौत हो गई। आठ दिन पहले एक 50 वर्षीय महिला को बुखार आया और दो दिन बाद ही मौत हो गई। आरोप है कि बुखार के बढ़ते मामलों को लेकर अस्पताल में भी जगह नहीं मिल रही है।
हसनपुर गांव की बच्ची के पिता ने बताया कि 12 सितंबर को बच्ची को बुखार आया था। 13 सितंबर को सुबह बच्ची को पलवल स्थित निजी अस्पताल ले गए, जहां उसकी मौत हो गई। चिल्ली गांव निवासी इरफान ने बताया कि चार वर्षीय बेटी एमनशा को 10 सितंबर को बुखार व गले में परेशानी की वजह से नलहड़ मेडिकल कालेज में भर्ती कराया था। गुरुवार दोपहर बाद उसने दम तोड़ दिया। आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है। इस बात को लेकर लोगों में नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य व निगम को शिकायती पत्र देकर गांव में सफाई अभियान चलाने और फोगिंग की मांग की गई है। इसके साथ ही जब तक गांव में बुखार के मामले सामने आ रहे हैं तब तक गांव में इलाज के लिए कैंप लगाने की मांग की गई है।
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