टूटी खिड़कियों के साथ दौड़ रहीं लोकल EMU ट्रेनें, हरियाणा के इस रूट पर ठिठुरने को मजबूर हो रहे यात्री
गाजियाबाद-पलवल-नई दिल्ली रूट पर लोकल ईएमयू ट्रेनें टूटी खिड़कियों के साथ चल रही हैं, जिससे यात्रियों को ठंड में परेशानी हो रही है। हरियाणा के इस रूट पर कड़ाके की ठंड में यात्रियों को ठिठुरने पर मजबूर होना पड़ रहा है। रेलवे प्रशासन की उदासीनता के कारण यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और वे जल्द मरम्मत की मांग कर रहे हैं।

खराब हालत में चल रहीं EMU ट्रेनें। जागरण
जागरण संवाददाता, पलवल। सर्दी के इस मौसम में यदि गाजियाबाद-पलवल-नई दिल्ली की लोकल ईएमयू ट्रेनों में सफर करना हो, तो खाली स्वेटर या टोपी पहन लेने से बात नहीं बनेगी। गर्म चादर या कंबल जरूर साथ रखें, क्योंकि ज्यादातर लोकल ट्रेनों के शीशे गायब हैं और गाड़ी चलने पर ठंडी हवा हाड़ कंपाने लगती है।
रेल प्रशासन यात्रियों की सुविधा का दम चाहे जितना भरता हो, लेकिन इन गाड़ियों की हालत बता रही है कि उसे यात्रियों को होने वाली असुविधा से जरा भी सरोकार नहीं है।
बता दें कि पलवल-नई दिल्ली की ओर चलने वाली ईएमयू ट्रेनों की खस्ताहाल हैं, वहीं बिना शीशों की खिड़कियां सर्दी में यात्रियों की कंपकंपी छूटा रहीं हैं। बेहतर सुविधा का दावा करने वाले रेलवे विभाग के अधिकारी सर्दी के मौसम में ट्रेनों में शीशे और उनकी रबर तक दुरुस्त नहीं करा पाएं है। जिससे ठंड में ईएमयू ट्रेनों का सफर घातक साबित हो रहा है।
ठिठोरने को मजबूर यात्री
ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्री ठंड से ठिठुरते हुए सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। ठंड में यात्रियाें को सर्दी के थपेड़ों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि ट्रेनों की अधिकतर डिब्बों के खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं, जिनसे अंदर घुसती सर्द हवाएं शरीर में सिहरन पैदा कर रही हैं। यात्रियों ने रेलवे अधिकारियों से मांग की है कि ट्रेनों में नए शीशे लगवाए जाएं।
यात्रियों भूपेश सोमानी, हरपाल सिंह, चमन लाल, हरवती, सुरूचि, ममता ने बताया कि बात खाली शीशों की ही नहीं हैं, जिनमें शीशे लगे हैं तो वह बंद नहीं होती। रेल प्रशासन न तो इसकी जांच करवा रहा है और न ही इन लाक को लगवाने की कवायद शुरू कर रहा है। नतीजा ट्रेनों की तेज रफ्तार से अंदर आती हवा यात्रियों को ठिठुरने पर मजबूर कर देती है।
अधिकांश ईएमयू ट्रेनों के डिब्बों के शीशे टूटे हुए हैं, या फिर जाम हो गए हैं जो बंद नहीं होते हैं। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी महिला, बुजुर्ग, बच्चे व मरीजों को उठानी पड़ रही है। ट्रेनों के डिब्बों की खिड़कियों के लाक ढीले या टूटे होने की वजह से बार-बार खुलते कांच को बंद करने की मशक्कत करनी पड़ती है।
यात्री कर रहे शिकायत
बता दें कि गाजियाबाद-दिल्ली-फरीदाबाद के बीच करीब 12 जोड़ी ईएमयू ट्रेनों का संचालन होता है। इनमें आधे से ज्यादा से अधिक ट्रेनों की खिड़कियों के शीशे गायब हैं। दैनिक यात्री प्रकाश मंगला रेल पैसेंजर्स एसोसिएशन पलवल के प्रधान भी हैं। उन्होंने बताया कि वह उन्हें यात्रियों की शिकायतें मिल रही हैं कि सभी ट्रेनों में खिड़कियां टूटी हुई हैं। टूटे शीशों से घुसने वाली सर्द हवा से यात्री ठिठुरते हुए यात्रा पूरी कर रहे हैं।
यात्रियों ने बताया कि पहले ही ट्रेनें काफी कम चल रही हैं।ऐसे में हमें मजबूरी में टूटे शीशों के सामने बैठना पड़ता है। टूटे शीशे के सामने आती ठंडी हवाओं से बचाने के लिए अपने साथ लाए बैग को खिड़की के आगे लगाकर हवा रोकनी पड़ती है।
इस बारे में रेल पैसेंजर्स एसोसिएशन के प्रधान प्रकाश मंगला ने बताया कि इस बारे में स्टेशन मास्टर तथा डीआरएम को लिखित रूप से शिकायत दी जा चुकी है। मगर उनकी ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में लोगों को टूटे शीशे के सामने बैठकर यात्रा करनी पड़ रही है।

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