उड़द की पछेती बिजाई करें, पाएं दोहरा लाभ
डॉ. मलिक ने कहा अगस्त के पहले पखवाड़े तक उड़द की बिजाई की जा सकती है।
जागरण संवाददाता, पलवल : कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर मलिक ने कहा है कि किसान उड़द की बिजाई करके अच्छी पैदावार के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा सकते हैं। बढ़ती दालों की मांग, भूमि की घटती उर्वरा शक्ति को ध्यान में रखते हुए खाद्यान्न फसलों के बीच में दलहनी फसलों को उगाना जरूरी हो गया है। प्रमुख दलहनी फसल उड़द की कम समय में पकने वाली किस्मों की बिजाई कर के किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. महावीर सिंह मलिक ने बताया कि खाली रह गए खेतों में तथा जो खेत चारे की फसल ज्वार, बाजरा, सब्जी आदि फसलों से खाली हो गए हैं, उनमें किसान उड़द की बिजाई इस समय कर सकते हैं। अगस्त के पहले पखवाड़े तक उड़द की बिजाई की जा सकती है। इस समय बिजाई किए गए उड़द में रोग, कीट तथा खरपतवार भी कम उगते हैं। इस समय उड़द की टी-नौ,यूएच-एक, पंत उड़द -35, आजाद-एक आदि किस्मों की बिजाई कर सकते हैं। इन किस्मों में पीला विषाणु रोग भी कम लगता है तथा यह 70 से 75 दिन में पक जाती हैं।
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यूं करें उड़द की बिजाई :
डा. मलिक बताते हैं कि उड़द की बिजाई 15 अगस्त से पहले-पहले करने से खेत समय से खाली हो जाएंगे तथा उसमें अगली फसल गेहूं जौ आदि की बिजाई भी समय से की जा सकेगी। उड़द का आठ किलोग्राम बीज प्रति एकड़ में डालना चाहिए। बिजाई से पहले बीज को चार ग्राम थाइराम तथा तीन ग्राम इमिडाक्लोप्रिड दवाई द्वारा प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचारित कर देना चाहिए। बोने से पहले बीज में राईजो जीवाणु टीका भी लगा देना चाहिए। बिजाई पंक्तियों में 30 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर पर करनी चाहिए। अगर खेत में पौधे ज्यादा हो तो निराई गुड़ाई के समय छटाई कर के पौधों का फासला उपयुक्त कर देना चाहिए।
अच्छी पैदावार के लिए बिजाई के समय 18 किलोग्राम यूरिया तथा 100 किलोग्राम सिगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ की दर से खेत में पोर दें। किसान सिगल सुपर फास्फेट के बजाय 35 किलोग्राम डीएपी प्रति एकड़ भी डाल सकते हैं। खरपतवार की रोकथाम के लिए पहली निराई 25 दिन बाद तथा दूसरी 35 से 40 दिन बाद करके खरपतवार नियंत्रण करें। खेत में नमी कम हो तो खेत में पलेवा करके बिजाई करनी चाहिए। बढ़वार के समय यदि यदि लंबे समय तक वर्षा नहीं होती तो फसल में फूल आने से पहले एक सिचाई कर देनी चाहिए।
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कीट व रोग से यूं करें बचाव :
फसल में सफेद मक्खी तथा हरा तेला कीट लगकर विषाणु रोग फैलाते हैं। इन कीटों की रोकथाम के लिए 350 एमएल दवाई 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। कभी-कभी बालों वाली सुंडी का भी प्रकोप हो जाता है। उसकी रोकथाम के लिए 250 मिली मोनोक्रोटोफॉस दवा 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें। पीला मोजेक से पीले हो गए पौधों को निकाल दें।
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प्रति एकड़ उड़द की चार से पांच कुंतल तक पैदावार हो जाती है। दलहनी फसल होने के नाते यह जमीन में उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर अगली फसल के लिए लाभकारी सिद्ध होती है। इसके उगाने में कम खर्च, ज्यादा आमदनी व भूमि की भौतिक दशा भी सुधर जाती है।
- डा. महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ
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