कपास की अच्छी पैदावार के लिए करें खरपतवार नियंत्रण
कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर सिंह मलिक के अनुसार खरपतवार फसल के काम आने वाले पोषक तत्व तथा पानी सोखकर फसल को हानि पहुंचाते है।
जागरण संवाददाता, पलवल : खरीफ की फसलों में कपास मुख्य नकदी की फसल है। पिछले वर्षों में जिले के किसानों ने बड़ी संख्या में कपास की फसल की तरफ रुख किया है तथा वर्तमान में जिले में करीब 24000 हेक्टेयर में बीटी कपास की खेती की जाती है। बीटी कपास में लाइन से लाइन व पौधे से पौधे का फासला ज्यादा होने के कारण इसमें खरपतवार बहुत ज्यादा मात्रा में उगते हैं, जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। कपास की अच्छी पैदावार लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है।
कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर सिंह मलिक के अनुसार खरपतवार फसल के काम आने वाले पोषक तत्व तथा पानी सोखकर फसल को हानि पहुंचाते हैं तथा इसके साथ-साथ खरपतवार कई तरह के कीटों को जैसे मिलीबग, सुंडी सफेद मक्खी को आश्रय देते हैं जोकि फसल को नुकसान करते हैं। किसान यदि खरपतवार का समय से नियंत्रण कर लें तो खेत में कीड़े लगने की संभावना भी कम हो जाती है।
कपास में मुख्य रूप से मकड़ा, सावक, पलपोटन, चोलाई ,मोथा, हिरनखुरी खरपतवार उगते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान मोथा, साठी, मकड़ा आदि खरपतवार करते हैं, इसलिए इन्हें समय से नियंत्रण करना जरूरी है।
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यूं करें खरपतवार को नियंत्रण :
खरपतवार की रोकथाम के लिए कपास की फसल में बिजाई के 20-25 दिन बाद सुखी गुड़ाई तथा पानी लगाने के बाद दूसरी गुड़ाई कर दें तो खरपतवार काफी हद तक नियंत्रित हो जाते हैं। जब फसल दो महीने की हो जाए तो ट्रैक्टर के कल्टीवेटर से भी गुड़ाई की जा सकती है। रसायनिक नियंत्रण के लिए बिजाई के तुरंत बाद दो-तीन दिन के अंदर पंडी मैथिली स्टाप 30 ईसी की डेढ़ लीटर मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से साठी, दावक, मकड़ा आदि खरपतवारों का अच्छा नियंत्रण हो जाता है। किसान कपास में खरपतवार की रोकथाम के लिए बिजाई के 40 से 45 दिन बाद पेंडीमैथलीन की डेट लीटर मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करके सिचाई कर दें। इससे भी खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं। मानसून आने पर जुलाई अगस्त माह में साठी, सामक जैसे खरपतवार ज्यादा उगते हैं इन्हें नियंत्रित करने के लिए ती मिलीलीटर। ग्रेमक्शन या 0.5 फीसद राउंडअप पांच मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से स्प्रे पंप के नोजल पर प्रोटेक्टर लगाकर छिड़काव करें ताकि दवाई फसल पर न पड़े। इससे खरपतवार आसानी से नियंत्रित हो जाते हैं। खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए तथा दवाई व पानी की सिफारिश की गई मात्रा छिड़काव में प्रयोग करें। छिड़काव शाम के समय करें। किसान ध्यान रखें 2.4 - डी कपास के लिए घातक दवा है। अत: कभी भी उस स्प्रे पंप का प्रयोग किसान न करें जिससे 2,4-डी का छिड़काव किया गया हो। कपास के लिए अलग से ही स्प्रे पंप का प्रयोग करें। कपास की फसल में छिड़काव करने से पहले स्प्रे पंप को अच्छे तरीके से धो लेना चाहिए।
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