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    बढ़ रही दांपत्य जीवन में तल्खियां, दरक रहे रिश्ते

    By Edited By:
    Updated: Fri, 08 Jan 2016 06:09 PM (IST)

    संजीव मंगला, पलवल सफल दांपत्य जीवन की सभी कामना करते हैं। पाणिग्रहण संस्कार के समय पति व पत्नी

    संजीव मंगला, पलवल

    सफल दांपत्य जीवन की सभी कामना करते हैं। पाणिग्रहण संस्कार के समय पति व पत्नी जो वचन लेते हैं, तब यह आशा की जाती है कि इन वचनों का पालन होगा, पर पलवल जिले में वैवाहिक संबंधों के टूटने के सामने आ रहे मामले कुछ और कहानी बयां करते हैं। जिला अदालतों में तलाक तथा आपसी सहमति से तलाक लेने के दायर हो रहे मामलों की संख्या को देख कर स्पष्ट है कि अग्नि के समक्ष लिए गए फेरों के साथ एक-दूसरे को दिए गए वचनों को अनदेखा किया जा रहा है।

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    सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी

    सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के मुताबिक पलवल जिले की अदालतों में बीते वर्ष तलाक लेने के 74 मामले दायर किए गए। जबकि आपसी सहमति से तलाक लेने के 113 मामले दायर किए गए। आपसी सहमति से तलाक लेने के 55 मामले स्वीकार किए गए।

    नहीं जाते अदालत में मामले

    वैवाहिक जीवन में बिखराव के अनेक मामले अदालतों में नहीं जाते हैं। बहुत से लोग वैवाहिक संबंध नहीं रखकर अलग रहते हैं, परंतु तलाक के मामले दायर नहीं करते। काफी मामलों में तो पंचायतों द्वारा ही तलाक करा दिए जाते हैं। हालांकि ऐसे तलाकों को कानूनी मान्यता नहीं मिलती।

    वैवाहिक संबंधों के पुन: स्थापना के लिए भी जाते हैं अदालत

    वैवाहिक संबंधों के पुन: स्थापना के लिए ¨हदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत भी लोग उस समय एक पक्ष अदालत जाता है, जब दूसरा पक्ष उससे अलग रह रहा हो। बीते वर्ष में जिले में इस तरह के 114 मामले विभिन्न अदालतों में दायर किए गए।

    ये होते हैं तलाक के मुख्य कारण

    तलाक के मुख्य कारणों में पति-पत्नी के विचार न मिलना परिजनों का वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप, क्रूरता, चारित्रिक संदेह, दहेज, नशाखोरी व मारपीट, घरेलू विवाद, विवाह बाद संबंध, आपसी गलतफहमी, संतान उत्पन्न न होने पर आपसी मतभेद शामिल हैं। यदि समय रहते इन पर ध्यान दे दिया जाए तो तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी नहीं होगी।

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    वैवाहिक संबंधों के टूटने व तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण अहम की समस्या है। लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं तथा नौकरियां कर रही हैं। उन्हें अपने अधिकार मालूम है। वे बराबरी चाहती हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे विवाह से पहले अपनी लड़कियों का सही मार्गदर्शन करें। शादी के बाद उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप न करें।

    -नमिता तायल, सामाजिक कार्यकर्ता

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    पति व पत्नी में सामंजस्य, प्रेम तथा आपसी विश्वास जरूरी है। इसमें जब कमी आती है, तो वैवाहिक जीवन में बिखराव आने लगता है। दोनों को एक दूसरे की भावनाओं का आदर करना चाहिए। अभिभावकों को भी बच्चों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा होगा तो तलाक के मामलों में कमी आएगी।

    -अलका गुप्ता, शिक्षाविद्