आर्य का अर्थ है श्रेष्ठ : सत्येच्छु
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सत्संग
फोटो 2पीडब्लयुएल-8 में है ैकैप्शन-आर्य समाज हाउ¨सग बोर्ड कालोनी के वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन देशराज सत्येच्छु प्रवचन करते हुए।
-जागरण संवाद सहयोगी, पलवल :
आर्य समाज हाउ¨सग बोर्ड कालोनी के वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन सामवेद पारायण यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने संपन्न कराया। उन्होंने कहा कि यज्ञ देवों का रथ है। जिस प्रकार मनुष्य रथ में बैठकर अपने गंतव्य स्थान पर जाता है, उसी प्रकार देव यज्ञ रूपी रथ पर बैठकर मोक्ष पद को प्राप्त होते हैं। परमात्मा ने सृष्टि के आरंभ में प्रजा को उत्पन्न करते हुए उसके साथ यज्ञ चक्र भी आरंभ कर दिया था। यज्ञ करने वाला सुख विशेष प्राप्त करता है।
आचार्य देशराज सत्येच्छु ने कहा कि आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ व प्रगतिशील होता है। भगवान राम, भगवान कृष्ण व महर्षि दयानंद को आर्यजन अपना आदर्श मानते हैं। एक ईश्वर की स्तुति, उपासना व प्रार्थना करते हैं। वेदों को अपना धर्म ग्रंथ मानते हैं। चित्र की वजाय चरित्र की पूजा करते हैं। आर्य समाज के सिद्धांत व नियम वेद पर आधारित हैं। फलित ज्योतिष, जादू टोना, जन्मपत्री, मृतक श्राद्ध, भूत प्रेत व प्रतिमा पूजन को आर्य नहीं मानते। आर्यों की मान्यता है कि पूजा देवताओं की व उपासना ईश्वर की करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ईश्वर अवतार नहीं लेता। आर्य समाज वर्णाश्रम व्यवस्था को मानता है। स्वदेशी, स्वभाषा, स्वधर्म व स्वसंस्कृति का पोषक है। मांसाहार व मद्यपान करने वाला अनार्य नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि जैसी बुद्धि मनुष्य के पास है, वैसी किसी और प्राणी के पास नहीं है। बुद्धि सुख का कारण है, जिसकी बुद्धि खराब होती है, वो दुखी रहता है। बुद्धि ठीक रखने के लिए स्वाध्याय, सत्संग, सात्विक भोजन व ईश्वर भक्ति जरूरी है।
इस अवसर पर डा.धर्मप्रकाश आर्य, जगबीर ¨सह गिरधर, वीरेंद्र ¨सह पप्पू, ज्ञान चंद शर्मा, मोती लाल आर्य, रेनू बाला, चंदरलाल आर्य, स्वामी प्रकाशानंद, ओम प्रकाश, तुलाराम आर्य, दौलतराम गुप्ता, डालचंद शास्त्री, दयाराम पुरोहित, ओम प्रकाश शास्त्री, खेम ¨सह, पूर्ण ¨सह राणा, बलराम राजपूत, लालाराम, नारायण ¨सह आर्य, राजपाल दहिया, मदन मोहन आर्य, राज कुमार आर्य, लीलाराम आर्य, सोम मुनि, यादराम ¨सह, सुमेर ¨सह चौहान, जीता सहरावत, रोशन लाल मौजूद थे।
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