मूंग की खेती करें और कमाएं अच्छी आमदनी
संवाद सहयोगी, पलवल : संतुलित भोजन में 60 ग्राम दाल प्रति व्यक्ति प्रतिदिन चाहिए, परंतु मात्र 27 ग
संवाद सहयोगी, पलवल : संतुलित भोजन में 60 ग्राम दाल प्रति व्यक्ति प्रतिदिन चाहिए, परंतु मात्र 27 ग्राम दाल ही प्रति व्यक्ति उपलब्ध है। मूंग शीघ्र पाचक, पौष्टिक एवं सुपाच्य प्रोटीन के कारण लोगों के लिए सर्वोत्तम दाल मानी गई है। दालों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए किसान ग्रीष्मकालीन मूंग उगाकर अच्छी आमदनी और धान-गेहूं तथा ज्वार- गेहूं फसल चक्र में मूंग का समावेश करके किसान भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा सकते हैं।
उन्नत किस्में व बिजाई समय
पूसा बैसाखी, पूसा विशाल, पूसा 9531, के-851, एमएच-421, एसएमएल-668 आदि किस्मों का चुनाव करना चाहिए। ग्रीष्मकालीन मूंग की बिजाई का उचित समय मार्च महीना है, परंतु मूंग की एसएमएल-668 किस्म को गेहूं के बाद 15 अप्रैल तक भी बोया जा सकता है।
बीज मात्रा, बिजाई व खाद
सभी किस्मों का 10 से 12 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त रहता है। बिजाई करते समय बीज की गहराई 4-5 सेमी., पौधे से पौधे का फासला 10-15 सेमी. तथा लाइन से लाइन 20-25 सेमी. रखनी चाहिए। मूंग के लिए दोमट व हल्की दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है। समय मूंग में 35 किलो डीएपी प्रति एकड़ बिजाई के समय पोर दें। डीएपी के स्थान पर 100 किलो ¨सगिल सुपर फास्फेट तथा 15 किलो यूरिया प्रति एकड़ भी दे सकते हैं।
बीज उपचार
मूंग के बीज को बोने से पहले 4 ग्राम थाइराम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए, ताकि जड़गलन आदि रोगों से बचाव हो सके। इसके बाद राइजोबियम जीवाणु टीके से उपचारित करके बोना चाहिए। एक खाली बालटी में दो कप पानी में 50 ग्रा. गुड़ घोलकर एक एकड़ के बीज के ऊपर छिड़ककर हाथ से अच्छी तरह मिलाकर एक पैकिट राइजोबिमय डालकर अच्छी तरह मिला दें तथा बीज को थोड़ी देर छाया में सुखा कर बिजाई करें।
¨सचाई व निराई-गुड़ाई
पहली ¨सचाई बिजाई के 20-22 दिन बाद, दूसरी ¨सचाई इसके 15-20 दिन बाद करें। उसके बाद ¨सचाई न करें। ज्यादा ¨सचाई करने पर फलियां एक साथ नहीं पकती। यदि खरपतवार दिखाई दे तो 20 से 25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें। जरूरत पड़ते तो दूसरी निराई-गुड़ाई 40 दिन बाद करें।
मूंग को मार्च में सरसों की कटाई के बाद या गन्ना अथवा अगेती गेहूं की कटाई के बाद आसानी से उगाया जा सकता है। बालों वाली सुंडी, हरा तेला व सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए 250 मि.ली. रोगोर 30 ईसी 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव 15-20 दिन के अंतर पर करते रहें। फलियां पकने पर तुड़ाई करते रहे। जब फलियां 80-90 प्रतिशत पक जाएं तो पूरी फसल एक बार में ही काटी जा सकती है। हरी खाद के लिए फसल को तुड़ाई के बाद खेत में मिला दें।
-डा.महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ।
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