'परंपरागत तरीके से करें खरपतवारों का नियंत्रण'
संवाद सहयोगी, पलवल : कृषि विशेषज्ञ डा.महावीर मलिक ने कहा है कि खरपतवार नियंत्रण के लिए लगातार रास ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, पलवल : कृषि विशेषज्ञ डा.महावीर मलिक ने कहा है कि खरपतवार नियंत्रण के लिए लगातार रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल करने से खरपतवारों में प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है और दवाओं से वह नहीं मरते। दवाओं से भूमि का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इसलिए किसान परंपरागत तरीके से निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवारों का नियंत्रण करें।
डा.मलिक नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन योजना के तहत कृषि विभाग के तत्वावधान में बुधवार को गांव सेवली में आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे। खरपतवार नियंत्रण के लिए उन्नत किस्म का शुद्ध बीज लेकर उनकी उचित समय पर बिजाई करें। धान-गेहूं फसल चक्र वाले खेतों में गेहूं की बजाय बरसीम, गन्ना, सरसों, मक्का या सब्जी की फसल उगाने से जई, मूंडसी आदि खरपतवारों का नियंत्रण हो जाता है।
उन्होंने कहा कि खरपतवार नाशी रसायनों को केवल अंतिम विकल्प के रूप में अपनाना चाहिए। यदि समन्वित खरपतवार प्रबंधन तकनीक अपनाई जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। खंड कृषि अधिकारी डा.राजेश तोमर ने कहा कि मिट्टी-पानी जांच के आधार पर ही फसल व उर्वरकों का चयन करें। साथ ही बायो गैस प्लांट लगाकर खाद को फसल में डालें।
कृषि विकास अधिकारी डा.लक्ष्मण ¨सह ने कहा कि हरी खाद के लिए गेहूं कटाई के बाद ढेंचा फसल उगाएं और गेहूं के फसल अवशेष को जलाने की बजाय चारे के रूप में इस्तेमाल करें। उन्होंने अनाज के सुरक्षित भंडारण की भी जानकारी दी। किसानों के गेहूं के प्रदर्शन प्लाट का भी अवलोकन कराया गया। शिविर की अध्यक्षता प्रगतिशील किसान सुखपाल ¨सह ने की। गांव सरपंच धर्मवीर ने भी किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रेरित किया।
इस मौके पर सुच्चा ¨सह, कालीचरण, मंगल ¨सह, सुंदर लाल, सुखपाल नंबरदार, मेदीराम, साहब ¨सह, महीपाल, चरण, सूरजमल मौजूद थे।

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