Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बेल वाली सब्जियों की करें कीट व बीमारियों से सुरक्षा

    By Edited By:
    Updated: Sat, 07 Mar 2015 05:10 PM (IST)

    फोटो 07 पीडब्ल्यूएल-2 में है। कैप्शन : डा.बीके शर्मा। - सब्जियों की खेती के दौरान पौधों की सुरक्षा ...और पढ़ें

    Hero Image

    फोटो 07 पीडब्ल्यूएल-2 में है। कैप्शन : डा.बीके शर्मा।

    - सब्जियों की खेती के दौरान पौधों की सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत

    संवाद सहयोगी, पलवल :

    जिले में यमुना नदी के साथ लगते क्षेत्र में गर्मी के दौरान बेल वाली (कद्दूवर्गीय) सब्जियों की खेती व्यापक स्तर पर की जाती है। इनमें मुख्य रूप से लौकी, तोरई, खीरा, ककड़ी, चप्पन कद्दू, ¨टडा, पेठा, खरबूजा, तरबूज शामिल हैं, लेकिन इनमें लगने वाली बीमारियां व कीड़े इन्हें भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे इनकी गुणवत्ता और उत्पादकता पर गहरा असर पड़ता है। सब्जियों की काश्त के दौरान पौधों की सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान देना जरूरी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रमुख कीट व उनकी रोकथाम लालड़ी - कीट की सुंडियां क्रीम रंग की तथा प्रौढ़ पीले व चमकीले होते हैं। प्रौढ़ पत्तियों में गोल सुराख करती हैं तथा सुंड़ियां जमीन में रह कर जड़ों को काट कर नुकसान पहुंचाती है। इसका अप्रैल के पहले पखवाड़े व मध्य जून से अगस्त तक इसका प्रकोप अधिक रहता है। रोकथाम के लिए पांच किलो कार्बोरिल 5डी व पांच किलो राख मिलाकर प्रति एकड़ धूड़ा करें या 60 मि.ली. साइपरमेथ्रिन 10 ईसी या 30 मि.ली. फेनवलरेट 20 ईसी को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

    रस चूसने वाले कीड़े - हरातेला, चेंपा व माईट्स रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं। रोकथाम के लिए 250 मि.ली. मैलाथियान 50 ईसी को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 10 दिन के अंतर पर छिड़काव करें। फल मक्खी- यह मक्खी फलों के अंदर अंडे देती है। अंडों से सुंडी निकालकर फल को खाती हैं, जिससे फल खराब हो जाते हैं। ककड़ी, घीया, खरबूजा, तोरी, ¨टडा में इसका प्रकोप अधिक होता है। रोकथाम के लिए 250 मि.ली. फेनिट्रोथियान 50 ईसी या 400 मि.ली. मैलाथियान 50 ईसी को 200-250 लीटर पानी तथा 1.25 किग्रा गुड़/शीरा में मिलाकर 10 दिन के अंतर पर प्रति एकड़ छिड़काव करें। प्रमुख बीमारियां व उनकी रोकथाम पाऊडरी मिल्डयू या चिट्टा रोग- इसमें पत्तों, तनों व अन्य भागों पर फफूंद की सफेद आटे जैसी तह जम जाती है। खुश्क मौसम में यह रोग ज्यादा लगता है। रोकथाम के लिए केवल एक बार 8-10 किग्रा प्रति एकड़ बारीक गंधक का धूड़ा बीमारी लगे हर भाग पर धूड़ने से बीमारी रुक जाती है। धूड़ा सुबह या शाम के समय करें। एन्थ्रेकनोज या स्कैब - पत्तों व फलों पर धब्बे पड़ जाते हैं तथा अधिक नमी वाले मौसम में धब्बों पर गोंद जैसा पदार्थ दिखाई देता है। रोकथाम के लिए 400 ग्राम मैंकोजेब 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। गम्मी कॉलर रॉट- अप्रैल-मई में इ खरबूजे में भूमि की सतह पर तना पीला पड़कर फटनें लगता है, जिसमें गोंद जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है। रोकथाम के लिए प्रभावित पौधों के तनों की भूमि के पास 0.1 प्रतिशत बाविस्टीन घोल से ¨सचाई करें।------

    सब्जियों में सिफारिश की गई कीटनाशक दवा ही डालें। काने व गले सड़े फल इकट्ठा करके मिट्टी में दबा दें। खरबूजे पर चिट्टा रोग की रोकथाम के लिए गंधक का धूड़ा न करें। खरबूजे पर 500 सल्फेक्स 200 लीटर पानी

    में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।

    -डा.बीके शर्मा, वरिष्ठ पौध रोग विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र भोपानी।