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पर्यावरण और मानव जीवन की रक्षा के लिए खेतों में ना जलाएं पराली: उपायुक्त

खरीफ की मुख्य फसल धान कटाई के सीजन के चलते उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने किसानों से आह्वान किया है कि वे फसल कटाई के बाद खेत में बची पराली या अवशेषों को ना जलाएं पर्यावरण तथा मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए यह अति आवश्यक है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 03:51 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 03:51 PM (IST)
पर्यावरण और मानव जीवन की रक्षा के लिए खेतों में ना जलाएं पराली: उपायुक्त
पर्यावरण और मानव जीवन की रक्षा के लिए खेतों में ना जलाएं पराली: उपायुक्त

जागरण संवाददाता, नूंह: खरीफ की मुख्य फसल धान कटाई के सीजन के चलते उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने किसानों से आह्वान किया है कि वे फसल कटाई के बाद खेत में बची पराली या अवशेषों को ना जलाएं, पर्यावरण तथा मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए यह अति आवश्यक है।

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उपायुक्त ने कहा कि पराली जलाने से वातारण धुएं से भर जाता है, जिससे हवा जहरीली हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। खेत में आग लगाने से हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है। इससे सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, दमा और कैंसर जैसी बीमारियां होने की आशंका बढ़ती है। प्रदूषण से प्रकृति के मौसम में बदलाव आ जाता है, जिससे बारिश में कमी आना स्वभाविक है। दूसरी ओर पराली जलाने से मिट्टी में पाए जाने वाले मित्र कीड़ों की कमी से जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है और इसकी ऊपरी सतह बंजर हो जाती है। परिणामस्वरूप किसान को अगली फसल लेने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिससे खाद, बीज व दवाईयों का खर्चा बढ़ जाता है। पराली से बनाएं जैविक खाद

फसल अवशेषों को न जलाकर उनके कई उपयोग किए जा सकते हैं। पराली को मशीन से काटकर पशुओं का चारा बनाना, गत्ता मिल में बेचकर धन कमाना, कम्पोस्टिग करके जैविक खाद बनाना आदि शामिल हैं। इससे पराली कुछ ही समय में स्वत: नष्ट हो जाती है, जो एक बेहतर जैविक खाद है। इससे राष्ट्रीय कृषि नीति का पालन भी होता है। उपायुक्त ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने जिले के सभी खंडों में किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष ना जलाने, उन्हें खेतों में ही समायोजित करने तथा उन्नत खेती के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करने की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। जिले के अनेक प्रगतिशील किसानों की तरह सभी किसान भी इनका अनुसरण करें।

उपायुक्त ने कहा कि जो किसान पराली जलाता हुआ पाया गया, तो पर्यावरण के नुकसान की भरपाई के लिए वह स्वयं उत्तरदायी होगा। ऐसी स्थिति में हालांकि प्रति एकड़ व घटना के हिसाब से जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है, लेकिन प्रशासन चाहता है कि देश के अन्नदाता किसान को कोई जुर्माना ना लगाया जाए, बल्कि उन्हें जागरूक किया जाए।

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के पालन को लेकर उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए जिला में गांव स्तर पर संबंधित पटवारी, सरपंच और एडीओ को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार खंड स्तर पर संबंधित बीडीपीओ, कानूनगो व खंड कृषि अधिकारी जिम्मेदार होंगे, जबकि सब डिवीजन लेवल पर संबंधित एसडीएम व तहसीलदार निगरानी करेंगे। इसके अतिरिक्त जिला स्तर पर उप कृषि निदेशक व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी जिम्मेवार रहेंगे।


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