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    डिलीवरी के दौरान फट गई महिला की बच्चेदानी, खून नहीं रुका तो नर्स ने ठूंस दिया कपड़ा

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 08:29 PM (IST)

    मेवात जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। बिछोर पीएचसी में प्रसव के दौरान एक महिला के गर्भाशय को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। परिजनों का कहना है कि स्टाफ नर्सों ने लापरवाही बरती जिसके कारण महिला की हालत बिगड़ गई। महिला को निजी अस्पताल में 25 टांके लगे। शिकायत दर्ज कराई गई है और जांच की मांग की गई है।

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    प्रसव के दौरान फटा महिला का गर्भाष्य, खून नहीं रुकने पर ठूंसा कपड़ा

    जागरण संवाददाता, नूंह। जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले जहां जिला नागरिक अस्पताल में प्रसव के दौरान एक नवजात शिशु का हाथ काट दिया गया तो वहीं उसके बाद तावडू सीएचसी में एक महिला की नलबंदी कर दी गई।

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    अब तीसरा मामला बिछोर पीएचसी से सामने आया है। जहां पर एक महिला के प्रसव के दौरान उसके गर्भाशय को खराब करने का आरोप है।

    स्वजन का आरोप है कि प्रसव के दौरान स्टाफ नर्सों द्वारा लापरवाही बरती गई। जिसके कारण महिला का गर्भाशय खराब हो गया।

    महिला के पति ने की शिकायत

    महिला के पति ने लापरवाही बरतने वाली स्टाफ नर्सों के विरुद्ध सीएम विंडो, प्रधानमंत्री पोर्टल सहित कई जगह लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है।

    बिछोर निवासी शहाजान ने शिकायत में बताया कि एक सितंबर को उसकी गर्भवती पत्नी अरसीदा के पेट में दर्द हुआ। जिसके बाद वह उसे अपने नजदीक पीएचसी बिछोर में लेकर पहुंचा।

    आरोप है कि वहां पर कार्यरत स्टाफ नर्स निशा व सफाई कर्मचारी बीरबती ने इंजेक्शन देकर महिला का प्रसव करने लग गई।

    आरोप है कि प्रसव के दौरान उक्त नर्सों द्वारा बच्चे को जबरन खींचने का प्रयास किया गया। जब गर्भाशय फटने पर महिला का खून नहीं रुका तो नर्सों द्वारा प्राइवेट पार्ट में कपड़ा ठूंस दिया गया।

    परिजन रहे पूरे वाकये से अनजान

    इस बारे में स्वजन को कुछ भी नहीं बताया गया। इसके बाद महिला की छुट्टी कर दी गई। जब महिला का खून नहीं रुका तो स्वजन उसे निजी अस्पताल में लेकर भागे, जहां पर महिला का कपड़ा निकालकर उसको 25 टांके लगाए गए।

    जब इस मामले में सिविल सर्जन डाक्टर सर्वजीत से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। जिससे विभाग की लापरवाही की तरफ साफ संकेत है।

    अगर इस तरह का मामला है तो उसकी जांच कराई जाएगी। महिला का प्रसव के दौरान किस तरह का इलाज दिया गया है, सबका पता लगाया जाएगा। लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

    -डॉ. मानसिंह, सीनियर मेडिकल आफिसर पुन्हाना

    जवाबदेही से बचने के लिए सिविल सर्जन ने नहीं दी कोई भी जानकारी

    नूंह की बिछोर पीएचसी में गर्भाशय फटने के मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नही की गई है। स्वजन का आरोप है कि स्टाफ नर्सों द्वारा उनके ऊपर शिकायत वापिस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

    आरोप है कि गर्भाशय फटने के बाद करीब दो घंटे तक स्वजन को किसी भी तरह की सूचना नहीं दी गई। जब खून का अधिक रिसाव होने लगा तो प्रसव करने वाली स्टाफ नर्सों ने हाथ खड़े करते हुए महिला की छुट्टी कर दी और नलहड़ के लिए रेफर करने की बात कही। लेकिन स्वजन आनन फानन में पुन्हाना के निजी अस्पताल में महिला को लेकर पहुंचे।

    जहां पर महिला के इलाज के नाम पर 25 हजार रुपये की राशि देनी पड़ी। महिला को 25 टांके भी आए हैं। स्वजन का आरोप है कि जब स्टाफ नर्सों से इस बारे में कहा सुनी की गई तो उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया और अपना गलत नाम बताया।

    स्टाफ नर्स द्वारा समय से पहले प्रसव करने का आरोप

    पति शहाजान निवासी बिछोर ने मानव आयोग में दी शिकायत में बताया कि वह अपनी पत्नी अरसीदा को बिछोर पीएचसी में प्रसव के लिए लेकर गया था।

    आरोप है कि पीएचसी में मौजूद स्टाफ नर्स पूनम ने समय से पहले महिला का प्रसव किया। जिसके कारण उसका गर्भाशय फट गया और महिला की हालत अधिक खून बिगडऩे के कारण खराब होने लगी।

    पति का कहना है कि निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि है कि 40 दिन बाद जब महिला की हालत ठीक हो जाएगी तो उसकी दोबारा सर्जरी होगी। जिसमें उसके गर्भाशय को निकालना पड़ेगा।

    जब इस मामले में जानकारी के लिए सिविल सर्जन डॉ. सर्वजीत से बात करने के लिए कई बार फोन किया तो उन्होंने जवाबदेही से बचने के लिए फोन नहीं उठाया।

    मामले में पूछताछ के लिए मेडिकल आफिसर सुधीर को सिविल सर्जन द्वारा बुलाया गया है। विभाग द्वारा कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी।

    -डॉ. मानसिंह, सीनियर मेडिकल आफिसर पुन्हाना।

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