शाम ढलते ही...मेवात के नूंह जिले में तेंदुए का बढ़ रहा आतंक, बड़का अलीमुद्दीन गांव में अब गाय का किया शिकार
मेवात के नूंह जिले में तेंदुए का आतंक बढ़ता जा रहा है। बड़का अलीमुद्दीन गांव में एक तेंदुए ने गाय को मार डाला जिससे ग्रामीणों में दहशत है। इससे पहले भी रेहना गांव में तेंदुए ने बकरियों को मारा था। वन्य जीव विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। अरावली में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है जिससे गांवों में खतरे की आशंका बढ़ गई है।

जागरण संवाददाता, तावड़ू। जिले नूंह अरावली की पर्वतमालाएं वन्य जीवों का सबसे सुरक्षित केंद्र बनती जा रही है। जिले के गांवों में इन दिनों तेंदुए की दहशत बढ़ती जा रही है। पिछले दस दिनों में यह दूसरा मामला है जब तेंदुए ने आबादी क्षेत्र में घुसकर मवेशियों पर हमला किया है। ताजा मामला जिले थाना रोजका मेव के अंतर्गत बड़का अलीमुद्दीन गांव का है, जहां मंगलवार-बुधवार की रात एक युवा तेंदुआ एक पशुबाड़े में घुस गया और वहां बंधी गाय को मार डाला।
तेंदुए के हमले की पुष्टि की
ग्रामीणों के अनुसार रात के समय अचानक शोर सुनाई दिया, लेकिन अंधेरे और डर के कारण कोई बाहर नहीं निकल सका। सुबह जब पशुपालक पशुशाला में पहुंचा तो उसने गाय को मृत अवस्था में देखा। ग्रामीणों ने तुरंत वन्य जीव विभाग को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंचे वन्य जीव विभाग के कर्मचारी मुबीन ने तेंदुए के हमले की पुष्टि की है।
घटना के बाद से पूरे गांव के लोग दहशत में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अरावली के जंगलों से लगे गांवों में अक्सर तेंदुए पहले भी देखे जाते रहे हैं,लेकिन अब बार-बार मवेशियों पर हमला होने से खतरे की आशंका और बढ़ गई है।
इससे पहले भी बीते 20 जुलाई को भी नूंह जिले के ही रेहना गांव में तेंदुए ने एक बाड़े में घुसकर सात बकरियों को मार डाला था। महज दस दिन में दो बड़े हमलों ने ग्रामीणों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। लोगों का कहना है कि तेंदुए बार-बार गांवों में घुस रहे हैं और विभाग को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
शाम के बाद घर से निकलते समय बरतें सावधानी
बता दें कि नूंह जिले का एक बड़ा भूभाग अरावली श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। जब से अरावली में अवैध खनन पर रोक लगी है, तभी से इसमें हरियाली के साथ वन्यजीवों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कई गांव अरावली की तलहटी में बसे हुए हैं, जहां घना जंगल और झाड़ियां तेंदुए जैसे जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनती हैं।
वन्य जीव विभाग के अनुसार भोजन की तलाश में तेंदुए अक्सर जंगलों से बाहर निकलकर गांवों की ओर आ जाते हैं।वन्य जीव विभाग कर्मचारी मुबीन का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ग्रामीणों को सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि रात के समय मवेशियों को सुरक्षित और मजबूत बाड़ों में रखें। बच्चों और बुजुर्गों को शाम के बाद अकेले बाहर न निकलने दें। तेंदुए के मूवमेंट की जानकारी तुरंत विभाग को दें।
90 के पार जा सकता है आंकड़ा
वहीं वन्य जीव विशेषज्ञों की माने तो अरावली श्रृंखलाओं में तेंदुओं की बढ़ती संख्या अच्छी खबर है। वर्ष 2012 में अरावली में हुई गणना के अनुसार तेंदुआ की संख्या आठ थी, जबकि वर्ष 2017 में की गई सर्वे में तेंदुओं की संख्या बढ़कर 31 हो गई। सिर्फ पांच वर्षों में यह संख्या आठ से 31 पहुंच गई। इस हिसाब से आंकड़ों को देखा जाए तो अब की बार यह गणना होती है तो यह आंकड़ा 90 के पार जा सकता है।
वर्ष 2017 में हुई सर्वे में अरावली में वन्यजीवों की आंकड़े :
तेंदुआ : 31
भेड़िया : पांच
लोमड़ी : पांच
गीदड़ : 166
लकड़बग्घा : 126
जंगली बिल्ली : 26
लघु वानर : 61
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