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    मेवात भूमि घोटाला में अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप, करोड़ों का फ्रॉड

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:06 PM (IST)

    तावडू के बिस्सर अकबरपुर में भूमि घोटाला सामने आया है जिसमें राजस्व अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से करोड़ों की पंचायती जमीन हड़पने का आरोप है। हल्का पटवारी पर नियमों का उल्लंघन करने और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का आरोप है। पीड़ितों का कहना है कि इसमें लगभग सौ करोड़ की संपत्ति दांव पर है और एसआईटी जांच पर उन्हें संदेह है।

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    राजस्व अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से करोड़ों की पंचायती जमीन हड़पने का आरोप है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, तावडू। बिस्सर अकबरपुर राजस्व क्षेत्र में हुए भूमि घोटाले में राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत का मामला भी सामने आया है, जिसमें भू-माफियाओं द्वारा करोड़ों रुपये की पंचायती जमीन हड़पने का प्रयास किया गया।

    इस मामले में हल्का पटवारी ने सभी नियमों को ताक पर रखकर और न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए पंचायती जमीन की विरासत बदल दी। पीड़ित पक्ष का दावा है कि इस घोटाले में करीब सौ करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति दांव पर लगी है।

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    हरियाणा के डीजीपी के निर्देश पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले की जांच कर रही है, लेकिन पीड़ितों को जांच प्रक्रिया पर भी संदेह है।

    बिस्सर अकबरपुर में सुरजीवन नाम से संचालित रिसॉर्ट इस घोटाले का केंद्र बिंदु है।

    पीड़ित देवेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यह रिसॉर्ट पिछले तीन दशकों से उनकी निजी जमीन पर नियमों के तहत चल रहा है। वह इससे सटी करीब 16 एकड़ पंचायती जमीन पर खेती कर रहे थे। इस जमीन का बाजार मूल्य सौ करोड़ रुपये से अधिक आंका जा रहा है।

    देवेंद्र श्रीवास्तव का आरोप है कि भू-माफियाओं ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर पहले तो विवादित वसीयत के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री करा ली। व्यावसायिक उपयोग वाली इस जमीन को कृषि भूमि दिखाकर सरकारी राजस्व को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया। जबकि यह मामला पहले से ही कोर्ट में विचाराधीन था। भू-माफियाओं ने रिसॉर्ट हड़पने की साजिश रची।

    इसके तहत पंचायती जमीन की विरासत को गलत तरीके से बदला गया। इस जमीन पर उनका कब्जा था और इसका नियमानुसार उपयोग भी हो रहा था, लेकिन भू-माफियाओं के इशारे पर राजस्व विभाग ने नियमों की अनदेखी की।

    पीड़ितों का दावा है कि पटवारी ने भू-माफियाओं से मिलीभगत कर कोर्ट के स्टे ऑर्डर को भी दरकिनार कर दिया। जबकि पटवारी को पंचायती जमीन की विरासत बदलने का अधिकार नहीं है, लेकिन उसने उच्च अधिकारियों या कोर्ट की अनुमति के बिना विवादित वसीयत के आधार पर विरासत बदल दी, जो राजस्व नियमों का खुला उल्लंघन है। इससे न केवल कोर्ट की अवमानना ​​हुई, बल्कि सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा।

    श्रीवास्तव ने जोर देकर कहा कि पटवारी ने भू-माफियाओं की शह पर यह कदम उठाया। इस प्रक्रिया में तत्कालीन जिला प्रशासन के अधिकारियों, तहसीलदार और पटवारी ने सक्रिय दलालों के माध्यम से बड़ा घोटाला किया। एक ही दिन में व्यावसायिक भूमि को कृषि भूमि दर्शाकर उसकी रजिस्ट्री कर दी गई, जिससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

    इस बहुचर्चित घोटाले की जांच डीजीपी हरियाणा के निर्देश पर गठित एसआईटी कर रही है। जांच टीम तावडू एसडीएम के नेतृत्व में काम कर रही है, लेकिन पीड़ितों को इस पर भरोसा नहीं है। देवेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जांच में बार-बार तारीख दी जा रही है, जो भू-माफियाओं से जानबूझकर मिलीभगत का नतीजा लग रहा है।

    मामले के जांच अधिकारी एसडीएम जितेंद्र गर्ग से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन फोन पर कोई जवाब नहीं मिला।