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    धान, बाजरा और कपास की फसलों को भारी नुकसान, प्रति एकड़ में हजारों रुपये का घाटा

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 04:05 PM (IST)

    बारिश के कारण नूंह जिले में धान बाजरा और कपास की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसान फसल बर्बादी और सरकारी खरीद न होने से परेशान हैं। प्रति एकड़ उपज में गिरावट आई है जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। दिवाली को लेकर किसान चिंतित हैं क्योंकि फसल के कम दाम और नुकसान की भरपाई न होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।

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    बारिश के कारण नूंह जिले में धान, बाजरा और कपास की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। फाइल फोटो

    मोहम्मद हारून, नूंह। ...भाई इस बार दिवाली फीकी रहने वाली है। बारिश के कारण धान की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं, धान की लागत बढ़ गई है और आमदनी कम हो रही है। नूंह की अनाज मंडी में धान बेचने आए धर्मबीर की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी। धान बेचने आए नौरंगाबाद के किसान गुल्लू का दर्द भी साफ झलक रहा था।

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    उन्होंने कहा कि उन्हें न केवल खरीफ सीजन में हुए नुकसान की भरपाई को लेकर अनिश्चितता है, बल्कि रबी सीजन की बुवाई को लेकर भी चिंता है। जी हां, बातचीत धान बेचने के लिए मंडी में एक साथ बैठे दर्जन भर किसानों के बीच की है। धान की बोली का इंतजार कर रहे किसान एक आढ़ती की दुकान पर खरीफ की फसल पर चर्चा कर रहे थे।

    दरअसल, इस साल जिले में औसत से ज़्यादा बारिश के कारण धान, बाजरा और कपास की फसलों को काफी नुकसान हुआ है और बारिश का असर उत्पादन क्षमता पर भी पड़ा है। किसान इंद्रजीत ने बताया कि लगभग 10 एकड़ कपास और बाजरे की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इसलिए, उन्होंने अपना पूरा ध्यान धान की खेती पर केंद्रित कर लिया है।

    हालांकि, समय पर कीटनाशकों और उर्वरकों की कमी के कारण, चावल को ठीक से पोषण नहीं मिल सका। अत्यधिक पानी ने केवल परेशानी को बढ़ा दिया। एक बार जब चावल पक जाता है, तो उन्हें मशीन से कटाई का सहारा लेना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप काफी आर्थिक नुकसान होता है।

    किसान अयूब ने कहा कि उन्होंने शुरुआत से लेकर बाजार तक प्रत्येक एकड़ पर 20,000 से 25,000 रुपये खर्च किए। हालांकि, चावल केवल 15,000 रुपये में बिका, जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। बासमती चावल केवल 2,000 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। किसानों का मानना ​​​​है कि कमीशन एजेंट भी नमी के आधार पर मनमानी बोली लगाते हैं।

    गौरतलब है कि इस साल जिले में 13,300 हेक्टेयर भूमि पर चावल की बुवाई की गई थी। सबसे अधिक मात्रा में चावल नूंह, इंद्री और पुन्हाना ब्लॉक में बोया गया था। चूंकि धान की सरकारी खरीद नहीं हो रही है, इसलिए किसान इसे निजी तौर पर बेच रहे हैं।

    सरकार केवल मोटे चावल की खरीद करती है। किसानों के अनुसार, अत्यधिक बारिश ने भी उत्पादन को प्रभावित किया है। पहले प्रति एकड़ उपज 20 से 100 क्विंटल के बीच होती थी, लेकिन इस बार यह घटकर आधी रह गई है। हालांकि, किसानों ने इस फसल की पूरी लागत वहन की है। फसल के कम दाम और नुकसान की भरपाई न होने के कारण, किसान आगामी दिवाली को लेकर भी चिंतित हैं।

    बासमती चावल की कई किस्में बोई गई थीं। उन्हें उम्मीद थी कि धान बेचकर वे अपना कुछ कर्ज़ चुका देंगे। लेकिन बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ और योजना अधर में लटक गई।

    - संतराम, किसान, इंद्री

    खरीफ की फसलों की भरपाई तो किसी तरह हो जाएगी, लेकिन रबी की फसल के लिए खाद और बीज की कमी है। खाद ब्लैक में बिक रही है। तो वे इसे कहाँ से लाएँगे?

    - ओमबीर, किसान, इंद्री

    बारिश के कारण, धान की फसल पकने के दौरान भी पानी जमा हो जाता है, जिससे उत्पादन कम हो जाता है। लागत बढ़ रही है। फसल बेचने पर भी पूरी लागत नहीं निकल पा रही है।

    - देवेंद्र, किसान, मंडकोला

    इस साल बाजरा, धान और कपास को काफी नुकसान हुआ है। सरकार को किसानों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए। नुकसान की भरपाई फायदेमंद हो सकती है।

    - जग्गू, किसान, नौरंगाबाद