तीर्थों का संरक्षण करना आवश्यक
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अधीन रामायण परिपथ के अध्यक्ष डा. राम अवतार शर्मा का परशुराम भवन में पहुंचने पर ब्राह्मण सभा की ओर से स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा के निवर्तमान प्रधान राजेश दीवान ने की।
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़: भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अधीन रामायण परिपथ के अध्यक्ष डा. राम अवतार शर्मा का परशुराम भवन में पहुंचने पर ब्राह्मण सभा की ओर से स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा के निवर्तमान प्रधान राजेश दीवान ने की। इस मौके पर डा. राम अवतार शर्मा ने कहा कि भारत देश के अंदर जहां-जहां भगवान श्रीराम के चरण पड़े हैं, वो स्थान हमारे लिए तीर्थ हैं। तीर्थों का संरक्षण करना भावी पीढ़ी के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अयोध्या से रामेश्वरम तक दो यात्राओं पर शोध किया है। अब तक देश के अंदर 11 राज्यों के 80 जिलों में भगवान राम के 290 पद चिह्न मिले हैं। ये पद चिह्न नदियों किनारे, पहाड़ों और जंगलों में मिले हैं। जहां-जहां से भगवान राम गुजरे थे, उन स्थानों को हमें तीर्थ के रूप में विकसित करना होगा। ये तीर्थ हमें संस्कार देते हैं। अगर तीर्थ समाप्त हो गए तो संस्कार भी समाप्त हो जाएंगे। इसलिए रामजी के रामत्व के साथ उनकी लीला भूमि को भी उतना ही महत्व देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा हिदुत्व, धर्म और संस्कृति सुरक्षित नहीं रहेंगे। इस मौके पर ब्राह्मण सभा के पूर्व अध्यक्ष दयाशंकर तिवाड़ी, सेवा निवृत जिला शिक्षा अधिकारी मुकेश लावनिया, अनिल कौशिक निदेशक यूथ होस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, वरिष्ठ उप-प्रधान भीमसेन शास्त्री, नगरपालिका पूर्व प्रधान रमेश बोहरा, प्रमोद शास्त्री, मा. महाबीर शर्मा झगडोली, दिनेश वैध, सूर्यप्रकाश कौशिक, नरेश जोशी, ईश्वर तिवारी, सुशील बिढाट, राधेश्याम दिल्लीवान, सुरेश पंचोली, दिनेश दत्त, राजेश दिल्लीवान, नरेश शर्मा, यशपाल शर्मा, कृष्ण भारद्वाज सतनाली, रवि तिवाडी, मोहन वशिष्ठ, विजय शर्मा, कन्हैया लाल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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