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    नारनौल में बंदरों का आतंक, महिला की छत से गिरकर मौत; घटना से पूरे इलाके में फैली दहशत

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 04:35 PM (IST)

    नारनौल शहर में बंदरों के आतंक से एक महिला की मौत हो गई है। शहरवासी पिछले दो सालों से इस समस्या से परेशान हैं और उन्होंने कई बार प्रशासन से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महिला छत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी जिससे उसकी मृत्यु हो गई। वार्ड पार्षद ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है और जल्द समाधान की मांग की है।

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    नारनौल में पिछले दो सालों से बंदरों का भारी आतंक है। जागरण

    जागरण संवाददाता, नारनौल। नारनौल शहर में बंदरों का आतंक अब जानलेवा हो गया है। बंदर के हमले से घायल एक महिला को जान गंवानी पड़ी है। शहर में पिछले दो सालों से बंदरों का भारी आतंक है।

    इस समस्या के बारे में शहर के काफी लोगों ने कई बार नगर परिषद प्रशासन व चेयरपर्सन, जिला प्रशासनिक और जनपरिवेदना समिति की बैठक में मंत्री डाक्टर अरविंद शर्मा के समक्ष मांग उठाई और लिखित में शिकायत भी दी गई थी कि इन बंदरों से शहरवासियों को निजात दिलाएं। परंतु हर बार उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया गया।

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    शहर व गांवों महिला हो या पुरूष या बच्चे सभी को बंदर अपना शिकार बना चुके है। घायल अवस्था में पीड़ितों ने अपना इलाज करवाया। लोग कई बार नगर परिषद कार्यालय में जाकर काफी बार शिकायत देने के बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों ने लोगों की समस्या का समाधान अभी तक नहीं किया गया है।

    आखिरकार जिस अनहोनी का डर था, वह घटना सोमवार को घट ही गई। मौहल्ला राव का की रहने वाली करीब 43 वर्षीय संतोष सैनी सोमवार की दोपहर करीब तीन बजे अपने मकान की पहली मंजिल की छत पर कपड़े लेने गई थी। उस समय बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। जैसे ही वह कपड़े इकट्ठा करने लगी। छत पर बंदरों का एक झुंड आ गया और महिला पर हमला बोल दिया।

    इसके बाद आनन-फानन में अपने बचाव में महिला तेज गति से सीढ़ियों की ओर दौड़ी। तभी महिला का पैर फिसल गया। वह नीचे बरामदे की छत पर गिर गई। सिर के बल गिरने से महिला को गंभीर चोट आई और उसकी मृत्यु हो गई। मृतका का पति निरंजन लाल मजदूरी करता है।उसके दो बेटे है। बड़ा बेटा 23 वर्षीय सुमित ने आइटीआइ की है, जबकि छोटा बेटा अर्जुन पढ़ाई कर रहा है।

    वार्ड पार्षद अमर सिंह ने बताया कि उन्होंने पहले भी बंदरों के आतंक, आवारा सांडों, गायों व कुत्तों के बारे में बार-बार जिला प्रशासन, नगर परिषद अधिकारियों व चेयरपर्सन को अवगत करवाया है। परंतु आज तक किसी ने इस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया। इनकी लापरवाही के कारण ही कल एक महिला मौत के आगोश में समा गई। यदि इसी प्रकार बंदरों का आतंक चलता रहा तो शहर में काफी भी गंभीर घटनाएं हो सकती है। ऐसे में जनप्रतिनिधि होने के कारण जनता के प्रति उनकी जवाबदेही है। उन्होंने नप चेयरपर्सन से मांग है कि नगर परिषद की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जाए और इसका स्थाई समाधान निकाला जाएं।

    समाजसेवी सुरेशपाल सैनी ने बताया कि कई सालों से शहरवासी बंदरों के आतंक से परेशान है। जनता की शिकायतों पर ना तो नगर परिषद ना ही जिला प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा। अब जनता भी हताश होने लगी है। हद तो तब हो गई जब बंदरों के आतंक से मोहल्ला रावका की महिला संतोष सैनी को अपनी जान गंवानी पड़ी। अब भी अगर नप प्रशासन की आंख नहीं खुलती है।

    बंदरों को पकड़ने के लिए किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करेगी तो लोगों को मजबूर होकर सड़कों पर आना पड़ेगा। पिछले दिनों यह मांग समाजसेवी किशन चौधरी ने भी प्रशासन के अधिकारियों के सामने उठाई थी। परन्तु उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि नगर परिषद प्रशासन की शिकायत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने करनी पड़ेगी।

    बंदरों को पकड़ने के मामले में सरकार के द्वारा एफसीसी में मंजूरी कर दी गई है। अब जल्द ही टेंडर छोड़ने की तैयारी की जा रही है। प्रयास रहेगा कि अगले माह तक टेंडर छोड़ दिया जाए। - दीपक गोयल, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद नारनौल