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    बकरी चराने वाले हरियाणा के संदीप ओलंपिक में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व, गरीब परिवार से है ताल्लुक

    अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकिंग में ओलंपिक का टिकट पक्का करने वाले गांव सुरेती पिलानिया निवासी संदीप कुमार बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता प्रीतम सिंह ने बकरियां व खेतों में मजदूरी कर संदीप को इस मुकाम तक पहुंचाने का कार्य किया है।

    By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 14 Feb 2021 01:14 PM (IST)
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    संदीप ने बकरियां चराते-चराते विश्व के खेल मैदान नाप दिखाया है।

    नारनौल [बलवान शर्मा]। कहते हैं कि इरादे बुलंद हों तो कोई भी बाधा आपकी राह नहीं रोक सकती है। यहीं साबित कर दिखाया है अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संदीप कुमार ने। संदीप ने बकरियां चराते-चराते विश्व के खेल मैदान नाप दिखाया है। जी हां  अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकिंग में ओलंपिक का टिकट पक्का करने वाले जिले के गांव सुरेती पिलानिया निवासी संदीप कुमार बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता प्रीतम सिंह ने बकरियां व खेतों में मजदूरी कर संदीप को इस मुकाम तक पहुंचाने का कार्य किया है।

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    संदीप की मां ओमपति का करीब 24 साल पहले निधन हो गया था। उस समय संदीप की उमर महज 7-8 साल ही थीं। संदीप के परिवार में एक बहन ममता व बड़ा भाई सुरेंद्र है। सुरेंद्र अपने पिता प्रीतम सिंह के साथ खेती का कार्य करते हैं।

    संदीप की भाभी अनिता देवी ने बताया कि घर में 20-22 बकरियां पाली हुई हैं। संदीप के पिता प्रीतम सिंह ने मां व बाप दोनों की भूमिका बड़ा संघर्ष करके निभाई है। करीब 24 साल पहले संदीप की मां ओमपति का निधन हो गया था । संदीप बहुत छोटा था और उस समय परिवार की आर्थिक हालत बहुत ही खराब थी ।पांच एकड़ जमीन थी पर ज्यादा उपजाऊ न होने की वजह से बकरियां पालकर गुजारा करना पड़ता था।वह आज भी बकरियां पालने का कार्य कर रहे हैं। बहुत ही मुश्किल से संदीप की पढ़ाई करवाई गई।

    हालांकि संदीप बचपन से ही मेहनती और खेलकूद में अव्वल रहा है। बचपन में पिता के साथ बकरियां चराते समय दौड़ लगाता रहता था। संदीप ने 50 किलोमीटर वाकिंग में नए रिकार्ड बनाए और उनके सेना में सूबेदार पद पर भर्ती होने के बाद घर के आर्थिक हालात कुछ सुधरे।

    रियो ओलंपिक 2016 में भी कर चुके हैं भारत का प्रतिनिधित्व

    रियो ओलंपिक 2016 में भी संदीप भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे उनके पिता प्रीतम सिंह के संघर्ष की बड़ी गाथा छुपी हुई है। जिला खेल अधिकारी परसराम ने कहा कि वास्तव में संदीप कुमार के घर के हालात बहुत कमजोर हैं। उनके पिता ने आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। उनकी ओर से खेल विभाग को लिखा जा रहा है।