कांग्रेस ने खेला ओबीसी कार्ड, राव नरेंद्र के सामने गुटों में बंटी पार्टी को एकजुट करने की चुनौती
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष बने राव नरेंद्र के सामने कई चुनौतियाँ हैं। उन्हें गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करना है और भाजपा के मजबूत गढ़ में सेंध लगानी है। दक्षिण हरियाणा में भाजपा के कई कद्दावर नेताओं के मुकाबले उन्हें खुद को साबित करना होगा। कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान को दूर करना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।

बलवान शर्मा, नारनौल। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर अहीरवाल के नेता राव नरेंद्र की ताजपोशी कर पार्टी हाईकमान ने जहां ओबीसी कार्ड खेला है, वहीं उन्हें सभी को साथ लेकर चलने का बड़ा टास्क दिया है। अपने दायित्व को निभाने के लिए नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष के लिए सामने चुनौतियों की भरमार है।
दक्षिण हरियाणा केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का गढ़ माना जाता है। 2014 के चुनाव से पहले राव कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तभी से कांग्रेस को इस क्षेत्र में ''राव'' के विकल्प की तलाश थी, जिसे अब राव नरेंद्र के रूप में पूरा करने की कोशिश की गई है।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से राव दान सिंह को टिकट देकर कांग्रेस ने इस क्षेत्र में सेंध लगाने का प्रयास किया था, लेकिन राव दान सिंह पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। हालांकि बाद में पार्टी ने उन्हें महेंद्रगढ़ से टिकट दिया और वे चुनाव जीत गए। दक्षिण हरियाणा को सत्ता की चाबी माना जाता है।
ऐसे में कांग्रेस ने इस क्षेत्र में ''राव इंद्रजीत'' के विकल्प के रूप में राव नरेंद्र सिंह की तलाश पूरी कर ली है। अब राव नरेंद्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि उनको राव दान सिंह से हुई नाउम्मीदी को उम्मीद में तब्दील तो करना ही है, साथ ही उन्हें भाजपा के गढ़ को मजबूत करने के गंभीर प्रयास करने होंगे।
दक्षिण हरियाणा में भाजपा के पास कद्दावर नेताओं की कमी नहीं है। इनमें केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व मंत्री अभय सिंह यादव के मुकाबले में खुद को साबित करना राव नरेंद्र के लिए बड़ी चुनौती होगी।
बेशक भाजपा के ये बड़े नेता अलग-अलग गुटों में हैं पर इनके प्रयासों का अभी तक तो भाजपा को फायदा ही मिल रहा है। ऐसे में नरेंद्र सिंह को खुद को दक्षिण हरियाणा का ''राव'' साबित करने के लिए पूरी ताकत झोंकनी होगी और अपने विरोधियों को साथ लेकर चलना होगा।
दूसरी बड़ी चुनौती उनके सामने बिखरी हुई कांग्रेस को एकजुट करने के रूप में पेश होने जा रही है। गुटों में बंटी पार्टी को एकमंच पर लाने के लिए राव को पूरे जी-जान से मेहनत करनी होगी।
कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं के बीच चल रही खींचतान को दूर करना इतना आसान नहीं है। दक्षिण हरियाणा की ही बात करें तो कांग्रेस के कद्दावर नेता कैप्टन अजय सिंह ने उनकी नियुक्ति की घोषणा के साथ ही विरोध की आवाज बुलंद कर दी है। ऐसे में राव दान सिंह और कैप्टन अजय को साथ लेकर चलना उनकी बड़ी चुनौती है।
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