Narnaul News: अटेली अनाज मंडी का धर्म कांटा बंद, किसानों में बढ़ी नाराजगी
अटेली अनाज मंडी में लाखों का धर्म कांटा बेकार पड़ा है जिससे किसानों को बाहर अनाज तोलने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इससे उन्हें अतिरिक्त खर्च और तौल में गड़बड़ी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी ऑपरेटर की नियुक्ति न होने की बात कह रहे हैं जबकि किसान जल्द समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।

संवाद सहयोगी, मंडी अटेली। अटेली अनाज मंडी में लाखों रुपये की लागत से लगाया गया धर्म कांटा महज औपचारिकता बनकर रह गया है। एक माह भी पूरा नहीं चल पाया यह कांटा आज तक किसानों और व्यापारियों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो सका।
अब बाजरा व कपास की खरीद मंडी में होनी है लेकिन धर्म कांटा शुरू नहीं हो पाया। मंडी आने वाले किसानों को मजबूरीवश बाहर के धर्म कांटों पर अपना अनाज तौलना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें न सिर्फ अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है, बल्कि तौल में खामियां सामने आने से आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
किसानों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मंडी परिसर में जब आधुनिक धर्म कांटा मौजूद है तो फिर उसे चलाया क्यों नहीं जा रहा। लाखों रुपये की सरकारी राशि खर्च कर लगाए गए कांटे का लाभ जब किसानों को ही नहीं मिलेगा तो उसका उद्देश्य ही अधूरा रह जाएगा।
किसानों का आरोप है कि बाहर के धर्म कांटे पर तौल के दौरान वजन में गड़बड़ी की शिकायतें आम हैं। किसानों को मजबूरीवश उसी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। वहीं, जब भी मंडी धर्म कांटे के संचालन को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, तो जिम्मेदार अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि कांटे को चलाने के लिए कोई ऑपरेटर नियुक्त नहीं हुआ है।
यही वजह है कि मंडी में लगे इस कांटे का संचालन अब तक शुरू नहीं हो पाया। व्यापारी वर्ग भी इस कांटे को चलाने के पक्ष में पूरी तरह से उत्साहित नहीं दिख रहा। दूसरी ओर किसान साफ कहते हैं कि जब सरकार ने इतना बड़ा निवेश किया है तो उसका सीधा लाभ उन्हें मिलना चाहिए।
इस संबंध में मंडी सचिव सुनीता ने बताया कि कांटे के संचालन के लिए आपरेटर की मांग की गई है। जैसे ही ऑपरेटर की नियुक्ति होगी, कांटा चालू कर दिया जाएगा। सचिव का दावा है कि जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी और किसान व व्यापारी दोनों ही मंडी कांटे से लाभान्वित होंगे।
फिलहाल, किसानों की उम्मीदें इसी आश्वासन पर टिकी हैं। मगर यह सवाल अब भी बरकरार है कि आखिर कब तक लाखों रुपये का लगाया गया धर्म कांटा यूं ही बंद पड़ा रहेगा और किसानों को बाहर के कांटों पर तौल की खामियों का सामना करना पड़ेगा।
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