हरियाणा सरकार ने बच्चों के लिए शुरू की स्पॉन्सरशिप योजना, इन लोगों को मिलेगा पैसा
हरियाणा सरकार महेंद्रगढ़ जिले में बच्चों के लिए स्पॉन्सरशिप योजना चला रही है। यह योजना उन बच्चों के लिए है जो मुश्किल परिस्थितियों में रह रहे हैं जैसे कि जिनके माता-पिता गंभीर रूप से बीमार हैं या जो अकेले अभिभावक के साथ रहते हैं। सरकार ऐसे बच्चों को हर महीने 4000 रुपये की आर्थिक मदद देती है।

जागरण संवाददाता, नारनौल (महेंद्रगढ़)। हरियाणा सरकार बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने और कठिन परिस्थितियों में जीवन जी रहे मासूमों को संबल देने के लिए स्पान्सरशिप योजना चला रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के दिशा-निर्देशों पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यह योजना बाल कल्याण को ध्यान में रखते हुए संचालित की जा रही है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी संगीता यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना उन बच्चों के लिए है जो एकल अभिभावक यानी केवल मां के साथ रह रहे हैं, या फिर जिनके माता-पिता गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं।
साथ ही ऐसे बच्चे जिन्हें बाल कल्याण समिति द्वारा "देखरेख एवं संरक्षण" की श्रेणी में रखा गया है, उन्हें चार हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता राशि जिला बाल संरक्षण इकाई के माध्यम से प्रदान की जाती है।
आवेदन के लिए क्या है योग्यता
- जिला बाल संरक्षण अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि योजना का लाभ केवल उन्हीं बच्चों को मिलेगा, जिनका परिवार सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरता है।
- ग्रामीण क्षेत्र में वार्षिक आय 72 हजार रुपये से कम होनी चाहिए।
- शहरी क्षेत्र में यह सीमा 96 हजार रुपये है।
- लाभ लेने वाले परिवार में अधिकतम दो बच्चे हों, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम हो।
- बच्चे नियमित स्कूल में अध्ययनरत हों।
- आवेदक बच्चे जिले के मूल निवासी होने चाहिए।
- यदि ये सभी शर्तें पूरी होती हैं तो बाल कल्याण समिति व अनुमोदन समिति द्वारा मंजूरी के बाद स्पॉन्सरशिप योजना के तहत सहायता राशि सीधे लाभार्थी तक पहुंचाई जाती है।
जागरूकता के लिए हर माह 25 कैंप
बाल संरक्षण अधिकारी सुषमा यादव ने बताया कि अधिक से अधिक जरूरतमंद परिवारों तक इस योजना की जानकारी पहुंचे, इसके लिए विभाग सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। हर महीने 25 जागरूकता शिविर सार्वजनिक स्थानों जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मंदिर और बाजारों में लगाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त स्कूलों और गांवों में भी बाल संरक्षण इकाई की ओर से समय-समय पर कैंप आयोजित किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सहायता राशि मिलने के बाद भी त्रैमासिक निरीक्षण के माध्यम से लाभार्थियों की स्थिति की निगरानी की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहायता सही हाथों तक पहुंच रही है और उसका उपयोग बच्चों की देखभाल में हो रहा है। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के जीवन में आशा की किरण बन रही है, बल्कि शिक्षा और सुरक्षित बचपन के रास्ते खोल रही है।
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