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    Mahendragarh News: किसानों पर पड़ रही दोहरी मार, पहले अधिक बारिश और अब खरीद न होने से बाजरा उत्पादक परेशान

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 03:04 PM (IST)

    नारनौल मंडी में बाजरे की आवक बढ़ गई है लेकिन गुणवत्ता खराब होने के कारण खरीद एजेंसियां इसे खरीदने में आनाकानी कर रही हैं। भावांतर योजना के बावजूद किसानों को लागत से भी कम दाम मिल रहे हैं। भारी बारिश के कारण बाजरे का रंग काला पड़ गया है जिससे किसान अपनी फसल बेचने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

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    अनाज मंडी नारनौल में एक दुकान के बाहर लगी बाजरें की फसल की ढेरी।जागरण

    जागरण संवाददाता,नारनौल। पिछले दिनों हुई अतिवर्षा की मार झले रहे किसानों पर अब अनाजमंडी में भी दोहरी मार पड़ रही है। पिछले चार दिन के दौरान अकेले नारनौल की अनाजमंडी में 1500 क्विंटल बाजरे की आवक हो चुकी है। खरीद एजेंसियों ने इस अवधि के दौरान 30 सैंपल लिए। शनिवार को 12 सैंपल लिए, लेकिन सभी सैंपल फैल हो गए।

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    सरकार ने किसानों को बाजरा बेचने के लिए दूसरा विकल्प भावांतर योजना के तहत दिया हुआ है। किसान जे फार्म दिखाकर आढ़तियों के जरिये अपनी फसल बेच सकते हैं। सरकार का मानना है कि 2775 रुपये सरकारी एमएसपी है और किसान प्राइवेट आढ़तियों के माध्यम से 2150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बाजरे को बेच सकते हैं।

    इन किसानों को 625 रुपये भावांतर योजना के तहत प्रति क्विंटल के हिसाब से सरकार भुगतान कर किसानों के नुकसान की भरपाई करेगी। धरातल पर स्थिति इसके विपरित बनी हुई है। 23 सितंबर से लेकर अभी तक नारनौल की मंडी में 1500 क्विंटल बाजरे की आवक हो चुकी है। खरीद एजेंसियों के अनुसार बाजरे का रंग काला हो चुका है।

    बाजरे के अभी तक 30 सैंपल लिए गए, जिनमें से 12 सैंपल शनिवार को लिए गए। सभी की रिपोर्ट आ चुकी है और सैंपल फैल हो गए हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसियों ने एक भी दाना बाजरा नहीं खरीदा है। रही बात प्राइवेट खरीद की तो कोई भी आढ़ती खराब बाजरा खरीदने को तैयार नहीं है।

    आढ़तियों का कहना है कि उनके पास अच्छा बाजरा आया तो ही वे 2150 रुपये के हिसाब से बाजरा खरीद सकते हैं। खराब बाजरा खरीदकर उन्हें घाटे का सौदा नहीं करना है। स्थिति यह है कि सरकार जिस बाजरे को खरीदने के लिए तैयार नहीं है तो प्राइवेट आढ़ती कैसे खरीदेंगे। यह स्थिति केवल नारनौल मंडी की नहीं, बल्कि पूरे जिले और दक्षिण हरियाणा में बनी हुई है।

    दक्षिण हरियाणा के किसानों की आजीविका का मुख्य साधन बाजरा ही माना जाता है। इस क्षेत्र में इस बार अति वर्षा होने की वजह से काफी बाजरा तो खेतों में बर्बाद हो गया। कुछ बचा तो वह भी खरीद एजेंसियों के मापदंडों पर खरा नहीं उतर आ रहा है। इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है।

    मंडियों में बाजरे की फसल की आवक लगातार हो रही है। लेकिन खरीद शुरू न होने से बाजरे की ढेरियां लग गई हैं। नारनौल मंडी में किसानों के लिए बनाए गए शेड में स्थानीय दुकानदारों ने अपना माल रख दिया है। जिससे किसानों को अपनी फसल बाहर खुले में उतारनी पड़ रही है।

    फसल खराब होने के कारण बाजरा बेचना ही मुसिबत बना हुआ है। प्राइवेट बेचने का प्रयास करते हैं तो उनको बहुत कम दाम मिल रहे हैं। खराब गुणवत्ता के कारण किसानों को लागत से भी कम दाम मिल रहे हैं। मंडियों में प्रवेश, नंबर लगने तथा अनाज के सैंपल निरस्त होने जैसी समस्याओं के कारण किसानों को परेशानी हो रही है।

    सरकार के नियमों के अनुसार जे फार्म भरकर नई अनाज मंडी में आने वाले किसानों के अच्ची क्वालिटी के बाजरे की 2151 प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद की जा रही है। 135 क्विंटल बाजरे की फसल की खरीद की गई है। विभाग के अधिकारियों को जे फार्म भरकर भेजने के बाद किसानों को भावातंर योजना के तहत उनके बैक खातों में बकाया राशि डाल दी जाएगी।

    - रामरतन गोयल दुकानदार, नई अनाज मंडी आढती

    क्षेत्र के विभिन्न गांवों के किसान बाजरे की फसल मंडी में लेकर आ रहे है। वर्षा के कारण बाजरें की फसल का रंग काला पड गया है। परन्तु बाजरें के दानों में मिठास है। दुकान पर आने वाले गावों के किसानों को फसल की ढेरियां लगवाकर बाजरे की क्वालिटी के हिसाब से खरीदारी कर रहे हैं।

    - मोहनलाल रिटेल, दुकानदार अनाज मंडी