NCR के इस इलाके में निगम का एक्शन, तोड़े चबूतरे.. अब तीन दिन का अल्टीमेटम; अब लोगों ने की ये मांग
महेंद्रगढ़ नगर पालिका ने सर्राफा बाजार में अवैध चबूतरों और अतिक्रमण को हटाने के लिए मुनादी करवाई व्यापारियों को तीन दिन का समय दिया गया। कुछ दुकानदारों ने चबूतरे तोड़े जबकि अन्य ने नहीं। अतिक्रमण हटाने के बाद सड़क को सीमेंटेड किया जाएगा। शहरवासियों ने सड़क निर्माण में अनियमितता का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।
जागरण संवाददाता, महेंद्रगढ़। नगर के सर्राफा बाजार में अवैध चबूतरों व अतिक्रमण को लेकर नगर पालिका ने शहर में मुनादी करवाई थी कि जिन व्यापारियों ने अपनी दुकानों के आगे अवैध कब्जा किया है या चबूतरे बनाए हैं, वे स्वयं इन्हें हटा लें अन्यथा नगर पालिका जेसीबी की सहायता से इन्हें ध्वस्त कर देगी।
जानकारी देते हुए नगर पालिका प्रधान रमेश सैनी ने बताया कि नगर पालिका के आह्वान पर दुकानदार परशुराम चौक से लेकर सर्राफा बाजार, ढाल बाजार तक किए गए अतिक्रमण को स्वयं हटा लें। नगर पालिका ने इस बारे में मुनादी भी करवाई थी और व्यापारियों को तीन दिन का समय दिया गया था।
इसके बाद कुछ दुकानदारों ने रातोंरात अपने चबूतरे तोड़ने शुरू कर दिए, जबकि कुछ दुकानदारों ने अभी तक अपना अतिक्रमण नहीं हटाया है। इस रोड पर करीब 220 दुकानें हैं। नगर पालिका द्वारा अतिक्रमण हटाए जाने के बाद इस रोड को सीमेंटेड किया जाएगा। रोड के चौड़ा होने से आने-जाने वाले वाहनों को राहत मिलेगी और आवागमन में भी आसानी होगी।
इसके अलावा परशुराम चौक से मुसद्दी लाल धर्मशाला तक दोनों तरफ सड़क बनी हुई है, लेकिन सड़क का लेवल सही न होने के कारण सड़क पर पानी जमा हो गया है। शहरवासी प्रमोद, सचिन, बाबूलाल, रोशन, बबली, माडूराम, हरि राम, घीसाराम, फूल सिंह आदि ने बताया कि यह सड़क नियमानुसार नहीं बनाई गई है। इसमें सीमेंट ओपीसी 43 ग्रेड का प्रयोग किया जाना चाहिए था।
डीएलसी का कार्य 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर नहीं किया जाना चाहिए था। डीएलसी और सीमेंट कंक्रीट दोनों में जोड़ दिए जाने चाहिए थे और डीएलसी के जोड़ कंक्रीट के जोड़ों से कम से कम एक फुट की दूरी पर होने चाहिए थे। डीएलसी को बोरी से ढककर लगातार सात दिन तक गीला रखना चाहिए था।
इसी प्रकार अन्य किसी भी कमी के बिना यह सड़क बनाई गई है। लोगों ने इस सड़क का सैंपल श्री राम लैब दिल्ली से मंगवाने की मांग की है और यह भी अनुरोध किया है कि जब तक सैंपल पास न हो जाएं, ठेकेदारों को भुगतान न किया जाए।
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