'नेता बनना है तो भिवानी लोकसभा क्षेत्र से लड़ो चुनाव', पूर्व उपप्रधानमंत्री और पूर्व सीएम ने दी थी अपने बेटों को यह सीख
लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो भिवानी लोकसभा क्षेत्र के कई किस्से काफी मशहूर हैं। इस लोकसभा क्षेत्र को राजनीतिक विश्वविद्यालय समझा जाता है। इस सीट पर कई राजनीतिक दिग्गजों के उत्तराधिकारियों ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन उनके हाथ सफलता का स्वाद नहीं लगा। यहां के कई लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प रहे हैं। वहीं भिवानी से भाजपा भी प्रभावित रही है।
बलवान शर्मा, नारनौल। देश की राजधानी दिल्ली को तीन ओर से घेरे हरियाणा का भारतीय राजनीति बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। सन 1966 में जन्मे इस छोटे से राज्य ने पूर्व उपप्रधानमंत्री से लेकर रक्षा, परिवहन और विदेश मंत्री तक देश को दिए हैं। राजनीति की नर्सरी समझे जाने वाले इस प्रदेश की राजनीतिक राजधानी भिवानी को माना जाता है।
हर बड़े नेता ने भिवानी लोकसभा क्षेत्र को अपने बेटों और पौत्रों को राजनीति में लॉन्च करने के लिए लॉन्चिंग पैड के तौर पर उपयोग किया। बात यदि लोकसभा चुनाव की बात करें तो भिवानी लोकसभा क्षेत्र के कई किस्से मशहूर हैं।
जब चुनावी मैदान में उतरे थे दिग्गजों के बेटे और पोते
सबसे बड़ा और रोचक किस्सा यह है कि सन 2004 के चुनाव में प्रदेश के तीनों लाल (पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल, चौ. भजनलाल और पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल) के बेटों और पोते यहां से चुनावी मैदान में उतारे थे।
बहुत ही रोचक मुकाबला हुआ था। सुरेन्द्र सिंह पूर्व सीएम बंसीलाल के छोटे बेटे थे और भिवानी में अपने घरेलू मैदान पर अंगद की तरह पैर जमाए हुए थे। उनके सामने ताऊ देवीलाल के पौत्र अजय सिंह चौटाला थे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल भी अपने छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई की राजनीति के क्षेत्र में शुरुआत भी भिवानी से ही इसी चुनाव में करा रहे थे।
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राजनीतिक विश्वविद्यालय है भिवानी लोकसभा क्षेत्र
असल में प्रदेश के तीनों लाल का यह मानना था कि उनकी संतान को वे विधायक या सांसद तो किसी भी क्षेत्र से चुनाव लड़वाकर बना सकते हैं। किंतु यदि इन्हें नेता बनाना है तो भिवानी लोकसभा क्षेत्र से बेहतर राजनीतिक विश्वविद्यालय कहीं अन्यत्र नहीं है।
इसकी शुरुआत ताऊ देवीलाल ने सन 1998 में अपने पोते अजय चौटाला को यही सीख देकर चुनाव लड़ने के लिए भिवानी भेजा था। अजय चौटाला को कामयाबी 1999 के लोकसभा चुनाव में मिली और वह एकाएक बड़े नेताओं की श्रेणी में आ खड़े हुए। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई को राजनीति में लॉन्च करने की तैयारी कर रहे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ माना जाता है हिसार
हिसार जिला पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ माना जाता है। उनके सामने हिसार, करनाल, भिवानी और फरीदाबाद सहित कई विकल्प थे। किंतु 2004 के लोकसभा चुनाव आए तो उन्होंने भी यही निर्णय लिया कि वे कुलदीप बिश्नोई को भिवानी से ही लॉन्च करेंगे।
यहां चुनौतियां बड़ी थीं और चुनाव मैदान में चौ. सुरेन्द्र सिंह और अजय चौटाला तो पहले से चुनाव मैदान खड़े थे। इन धुरंधरों के सामने कुलदीप बिश्नोई को उतारना एक तरह से बड़ी चुनौती था। भजनलाल ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि मजबूती के साथ कुलदीप को भिवानी के चुनाव मैदान में उतारा।
यही नहीं, इस चुनाव में कुलदीप बिश्नोई ने दोनों बड़े धुरंधरों को हराने में भी कामयाबी हासिल की। सुरेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर तो अजय चौटाला को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
भिवानी से सांसद बनने के बाद हरियाणा की राजनीति में कुलदीप बिश्नोई सितारा बनकर चमकने लगे। 2006 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो कुलदीप बिश्नोई बगावत कर हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन कर इस दल के सुप्रीमो बन गए थे।
किसको | मिले कितने वोट | प्रतिशत |
कुलदीप बिश्नोई | 290936 | 33.4 |
सुरेन्द्र सिंह | 266532 | 30.6 |
अजय चौटाला | 241958 | 27.8 |
भिवानी से भाजपा भी रही है प्रभावित
2004 के चुनाव में भाजपा ने भी बड़ा दांव खेला था। हरियाणा की राजनीति में भाजपा ने पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा को भिवानी लोकसभा क्षेत्र से तीनों लाल पुत्रों के सामने खड़ा किया था।
इस वजह से यह चुनाव तिकोणीय से चकौणीय बन गया था। हालांकि पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा इस चुनाव में चमत्कार नहीं कर सके और उनको महज 24467 हजार वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।