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    नारनौल में हवेलियों से खतरा: जर्जर हवेलियां बनीं समस्या, नगर पालिका की कार्रवाई नोटिस तक सीमित

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 07:55 PM (IST)

    नारनौल शहर में जर्जर हवेलियाँ हादसों का खतरा बन रही हैं। कई पुरानी हवेलियाँ गिरने की स्थिति में हैं लेकिन नगर परिषद केवल नोटिस जारी करती है। लगभग 500 हवेलियों में से 200 खतरनाक हैं जिनमें लोग रहते हैं। मालिकों की लापरवाही और नगर पालिका की निष्क्रियता से लोगों की जान खतरे में है। परिषद ने निरीक्षण कर कानूनी कार्रवाई की बात कही है।

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    नारनौल शहर में जर्जर हवेलियाँ हादसों का खतरा बन रही हैं। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नारनौल। शहर में सैकड़ों पुरानी हवेलियां हादसों को न्योता देने लगी हैं। कल बाजार में एक हवेली का हिस्सा अचानक गिर गया, जबकि दूसरी हवेली की दीवार के साथ सड़क पर गहरा गड्ढा और दरार आ गई। शहर के करीब दस मोहल्लों में दर्जनों हवेलियां जर्जर हालत में खड़ी हैं, जिनके गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

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    नगर परिषद की कार्रवाई सिर्फ नोटिस देने तक ही सीमित है। पिछले एक साल में करीब 30 हवेली मालिकों को नोटिस जारी किए गए, लेकिन इन खंडहर इमारतों को गिराने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यही लापरवाही आज शहरवासियों के लिए खतरे की घंटी बन गई है।

    500 में से 200 हवेलियां खतरनाक

    शहर में करीब 500 पुरानी हवेलियां हैं। इनमें से करीब 300 हवेलियां बंद हो चुकी हैं और करीब 200 ऐसी हैं जो कभी भी गिर सकती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से करीब 200 हवेलियों में आज भी लोग रहते हैं। अगर बरसात के मौसम में इनमें से कोई गिरती है तो भारी जनहानि हो सकती है।

    मालिकों की भी लापरवाही

    नगर परिषद की तरह कई हवेलियाँ मालिक भी अपनी ज़िम्मेदारी से बचते रहे हैं। उन्होंने खुद तो नए मकान बनाकर दूसरी जगहों पर रहना शुरू कर दिया, लेकिन पुरानी हवेलियों को जर्जर हालत में ही छोड़ दिया। ये हवेलियाँ अब रिहायशी इलाकों में लोगों की जान के लिए खतरा बन गई हैं।

    शहर के बजाजा बाजार, पुरानी सराय, सब्जी मंडी, गांधी बाजार और परशुराम चौक जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में खंडहर हो चुकी हवेलियाँ लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई हैं। बारिश का मौसम उनके लिए खौफ का पर्याय बन गया है।

    कार्रवाई सिर्फ शिकायत या समाधान शिविर तक सीमित

    करीब दस साल पहले नगर परिषद ने इन इमारतों का सर्वे कराया था। उस समय 30 से 35 हवेलियाँ खतरनाक श्रेणी में दर्ज थीं। आज भी यही स्थिति है। नगर पालिका की कार्रवाई सिर्फ़ शिकायत या समाधान शिविर तक ही सीमित है। नोटिस चिपकाने के बाद नगर पालिका न तो इमारतों को गिराती है और न ही कोई वैकल्पिक उपाय तलाशती है।

    शहर के सभी मोहल्लों का अधिकारियों की टीम द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। जो हवेलियाँ जर्जर हालत में हैं, उनकी पहचान कर उनके मालिकों को नोटिस भेजे जाएँगे। नोटिस की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी ताकि लोगों के साथ कोई अप्रिय घटना न घटे। - कमलेश सैनी, चेयरपर्सन, नगर परिषद नारनौल