माता कात्यायनी का विधि विधान से पूजा करके, करें प्रसन्न: प्रदीप शास्त्री
शीतकालीन नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी के स्वरूप में आराधना होती है जिसे हम सभी भक्तों को विधि विधान से माता की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
संवाद सहयोगी, कनीना : शीतकालीन नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी के स्वरूप में आराधना होती है जिसे हम सभी भक्तों को विधि विधान से माता की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। ये विचार कनीना के खाटू श्याम मंदिर पुजारी पंडित प्रदीप शास्त्री ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि माता कात्यायनी सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली हैं। माता कात्यायनी को लाल रंग अति पसंद है। माता को लाल पुष्प चढ़ाएं लाल गुलाब बहुत प्रिय है। माता की पूजा के समय लाल गुलाब अर्पित करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए और आरती करें। माता पार्वती का सबसे ज्वलंत स्वरूप जो कात्यायनी देवी हैं। माता कात्यायनी योद्धाओं की देवी है। असुरों के अंत और अत्याचार को देखते हुए देवताओं तथा ऋषियों की रक्षा के लिए माता पार्वती ने कात्यायन ऋषि के आश्रम में अपने स्वरूप में प्रगट हुई। कात्यायन ऋषि के आश्रम में प्रगट होने के कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा कात्यायन ऋषि ने उनको अपनी कन्या स्वीकार किया। माता कात्यायनी शेर पर सवारी करती हैं और माता कात्यायनी के चार भुजाएं होती हैं। वह अपने एक हाथ में कमल का पुष्प दूसरे हाथ में तलवार। एक हाथ में माता का अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं दाएं हाथ में वरद मुद्रा का आशीर्वाद देती हैं। माता कात्यायनी की पूजा सभी भक्तजनों को मनोरथ सफल करने वाली हैं। इसलिए जिन कन्याओं का विवाह में विलंब होता है, उन्हें माता कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए जिससे अति शीघ्र उनकी मनोरथ सफल होती है। माता रानी खुशहाल जीवन की आशीर्वाद देती हैं।