महेंद्रगढ़ जिले में कड़ाके की ठंड: नारनौल बना प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान, शीतलहर का येलो अलर्ट जारी
महेंद्रगढ़ जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। नारनौल हरियाणा का सबसे ठंडा स्थान बन गया है, जहाँ तापमान में भारी गिरावट आई है। मौसम विभाग ने शीतलहर का ...और पढ़ें

ठंड पर भारी मां की ममता, रविवार को शहर अपने बच्चे को ठंड से बचाव कर जाती एक महिला। जागरण
जागरण संवाददाता, नारनौल। महेंद्रगढ़ जिला इस समय कड़ाके की ठंड की गिरफ्त में है और लगातार चार दिनों से प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान बना हुआ है। मौसम विशेषज्ञ डा चंद्रमोहन के अनुसार नारनौल में न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.3 डिग्री नीचे है।
वहीं महेंद्रगढ़ में न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री रिकार्ड हुआ। तापमान में लगातार गिरावट ने शीतलहर के प्रभाव को और तेज कर दिया है, जिससे आमजन को खासा संकट झेलना पड़ रहा है। दिन का तापमान भी औसत से नीचे बना हुआ है। शनिवार को नारनौल में अधिकतम तापमान 23.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.4 डिग्री कम रहा।
महेंद्रगढ़ में अधिकतम तापमान 25.9 डिग्री सेल्सियस रहा। दिन और रात के तापमान में बढ़ती दूरी ने ठिठुरन को और बढ़ा दिया है। सुबह और देर शाम इलाके में सर्दी की तीव्रता चरम पर रहती है।
10 दिसंबर तक शीतलहर का येलो अलर्ट
मौसम विभाग ने नारनौल, महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी दादरी और हिसार में नौ और 10 दिसंबर को शीतलहर का येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग का कहना है कि उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण सुबह और रात के समय तापमान और गिर सकता है। इससे सर्दी की तीव्रता में और इजाफा होने की संभावना है।
वहीं मौसम विशेषज्ञ डा. चंद्रमोहन ने बताया कि अगले कुछ दिन जिले में हल्के से मध्यम कोहरे की स्थिति बन सकती है। सुबह के समय दृश्यता कम होने से सड़क हादसों का जोखिम बढ़ जाता है, इसलिए वाहन चालकों को विशेष सावधानी की आवश्यकता है।
ठंड का दैनिक जीवन पर असर
कड़ाके की ठंड ने लोगों की दिनचर्या पर खास असर डाला है। सुबह स्कूल पहुंचने वाले बच्चों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बाजारों में भी सुबह रौनक नहीं दिखती और दोपहर बाद ही गतिविधियां सामान्य हो पाती हैं। शाम ढलते ही तापमान तेजी से नीचे गिर रहा है। गर्म कपड़े, हीटर और गीजर की मांग बढ़ गई है।
ठंड और कोहरे ने किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है। हालांकि अभी पाला गिरने की आशंका कम है, फिर भी सब्जियों और संवेदनशील फसलों की सुरक्षा को लेकर किसान सतर्क हो गए हैं।

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