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    घरों में ही विराजमान हुए गणपति बप्पा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 22 Aug 2020 06:02 PM (IST)

    कोरोना महामारी के कारण इस बार गणेश चतुर्थी से शहर में कहीं भी गणेशजी के भव्य आयोजन का कार्यक्रम नहीं हुआ।

    घरों में ही विराजमान हुए गणपति बप्पा

    जागरण संवाददाता, नारनौल :

    कोरोना महामारी के कारण इस बार गणेश चतुर्थी से शहर में कहीं भी गणेशजी के भव्य आयोजन का कार्यक्रम नहीं हुआ। लोगों ने अपने घरों में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर परिवार के साथ पूजन किया। हर वर्ष गणेश चतुर्थी से शहर के विभिन्न मोहल्लों में गाजे बाजे व भव्य झांकियां निकाल कर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती थी। यह कार्यक्रम लगातार दस दिनों तक चलता है और रोजाना धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन से गणपति बप्पा के जयकारे गूंजते रहते थे। इस बार कोरोना महामारी ने उत्सव का आनंद प्रभावित किया है। शहर में गणेश उत्सव को लेकर मुख्य आयोजन मराठों व पुस्तक गली के लोगों द्वारा सत्यनारायण मंदिर में, चेतावाली कुई पर, मोहल्ला पुरानी सराय, नलापुर सिल्ली वाले गणेश मंदिर तथा रेलवे रोड व पटीकरा में भी होता रहा है। इस बार चेतावाली कुई गणेश उत्सव मंडल के सदस्यों ने छोटे तालाब पर बगैर किसी भव्य आयोजन किए केवल गणेशजी की प्रतिमा को स्थापित किया। इसके अलावा शनिवार को अनेक लोगों ने अपने घरों में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की जिनकी दस दिन पूजा अर्चना कर विसर्जन किया जाएगा।

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    गायत्री परिवार की ओर से कार्यक्रम आयोजित

    संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ : अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा महेंद्रगढ़ के तत्वावधान में शनिवार को विश्वकर्मा सभा प्रांगण में गणेश चतुर्थी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें हिदुओं के प्रथम आराध्य देवता भगवान गणेशजी की महिमा का वर्णन करते हुए गायत्री-परिवार के जिला संयोजक डॉ. नरेश शास्त्री ने बताया कि सनातन हिदू परंपरा में किसी भी धार्मिक एवं शुभ अवसर के प्रारंभ में सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा एवं आराधना की जाती है। किसी भी प्रकार के पूजा, जाप, अनुष्ठान, शुभ-मुहुर्तों एवं देव स्थापना के पावन अवसर पर गणेश जी को ही प्रथम अराध्य माना गया है। बुद्धि एवं ऋद्धि-सिद्धि का दाता भी माना जाता है। हिदू धर्म ग्रंथों एवं मान्यता के अनुसार जिस घर परिवार में भगवान की पूजा अर्चना होती है। वहां पर किसी प्रकार का अभाव, रोग, शोक, विघ्न एवं दरिद्रता नहीं रहती है एवं सुख-समृद्धि का वास होता है। उपरोक्त कार्यक्रम में शारीरिक दूरी एवं कोरोना महामारी के बचाव संबंधित उपायों का पूर्ण रूप से पालन किया गया। कार्यक्रम के अंत में 108 गणेश मंत्रों एवं 108 गायत्री मंत्रों का जाप किया गया ताकि कोरोना महामारी के प्रभाव को कम किया जा सके। इस अवसर पर गायत्री परिवार सभी सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।