जैविक खेती में अजय ने कमाया है नाम
गेहूं और सरसों की खेती छोड़कर इसराणा का किसान अजय सिंह जैविक खेती अपना लिया है।
संवाद सहयोगी, कनीना: गेहूं और सरसों की खेती छोड़कर इसराणा का किसान अजय सिंह जैविक खेती कर रहा है। बेर के क्षेत्र में भी नाम कमा चुके हैं। जैविक खेती के लिए लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं। वर्तमान में कश्मीरी एप्पल बेरी के एक सौ पौधों पर बेर तैयार हो गये हैं।
किसान अजय सिंह इसराणा का कहना है कि जमीन में कीटनाशकों का प्रयोग कम होने के बजाय हर साल बढ़ता ही जा रहा है। इसी वजह से खेती योग्य भूमि भी बंजर बनती जा रही है। इस समय जमीन में मौजूद आर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी धीरे धीरे घट रही है। जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खेती करनी चाहिए। अजय कस्बे के युवाओं को जागरूक करने के साथ-साथ उनकी मदद रहा है। इस वक्त आसपास के तकरीबन 60 किसानों का एक ग्रुप बना रखा है, जिसमें सभी लोग जैविक सब्जियां उगाते है। इन सभी किसानों ने मार्केट में बिक रही जहरीली सब्जी को हटाकर जैविक सब्जी बेचने में लगे हुए हैं।
जैविक सब्जियां उगाने का काम दो वर्ष पहले डेढ़ एकड़ जमीन में सब्जी टमाटर, गोभी एवं बैंगन से किया था जिसमें सारा खर्चा निकाल कर 1 लाख 70 हजार की बचत हुई । डा मनदीप यादव तत्कालीन जिला बागवानी अधिकारी से भी उन्होंने भरपूर सहयोग मिला। वर्तमान में बैंगन, ककड़ी, टमाटर, प्याज, मिर्च,टमाटर, एप्पल बेर, पालक, टिडा व नींबू के भी पौधे लगाए हुए हैं। इस प्रकार मिश्रित खेती कर रहे हैं। छह एकड़ में उन्होंने सब्जी उगा रखी है और बेहतर आय मिल रही है। अकेले कश्मीरी एप्पल बेरी सहित 273 बेरी के पौधे उगा रखे हैं, जो फल दे रहे हैं।किसान अजय सिंह ने बताया कि वह ट्रैक्टर ट्राली के माध्यम से गांव गांव जाकर आर्गेनिक सब्जियां बेचता है। आर्गेनिक सब्जियों के दाम रूटीन की सब्जियों से एक दो रुपया कम ही रखता है।
वर्तमान में तरबूज दो एकड़, ककड़ी आधा एकड़, बैंगन आधा एकड़, टमाटर एक एकड़, मिर्च आधा एकड़, देसी टिडा, घिया, तोरई, पेठा एक एकड़, पत्ता गोभी एवं प्याज एक एकड़ में उगाई हुई हैं। उन्हें प्रशासन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। आधा दर्जन किसान के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। कश्मीरी एप्पल बेरी के पौधे अभी भी बेर दे रहे हैं।