शिल्पकला का बेजोड़ नमूना महेंद्रगढ़ का किला उपेक्षित
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़: करीब छह सौ साल पुराना महेंद्रगढ़ का ऐतिहासिक किला देखरेख के अभाव में
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़:
करीब छह सौ साल पुराना महेंद्रगढ़ का ऐतिहासिक किला देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। उपखंड कार्यालयों के स्थानांतरण के बाद मराठा काल की शिल्पकला के बेजोड़ नमूने इस किले के दिन बहुरने की उम्मीद जगी थी, लेकिन संरक्षण के अभाव में यह अब आवारा पशुओं व असामाजिक तत्वों की शरणस्थली बनने लगा है।
जिला कारागार एवं उपमंडल स्तर के सभी कार्यालय दशकों तक इसी किले में संचालित थे। 22 अगस्त 2010 को उपमंडल स्तर के सभी कार्यालय नवनिर्मित लघु सचिवालय एवं न्यायिक परिसर में स्थानांतरित कर दिए गए। जिला जेल पहले ही नारनौल स्थानांतरित कर दी गई थी। इसके बाद यह ऐतिहासिक किला वीरान हो गया। इसके बाद 10 मई 2012 को महेंद्रगढ़ के आइटीआइ मैदान में मुख्यमंत्री की जनसभा में ऐतिहासिक किले को हैरिटेज होटल में तब्दील करने की मांग रखी गई। मांग को स्वीकृति प्रदान कर दी गई और 15 मार्च 2013 को किले की मल्कियत पर्यटन विभाग के नाम हो गई। इसके बाद क्षेत्र के लोगों को इस किले का विकास पर्यटन की ²ष्टि से करने की उम्मीद जगी थी। क्षेत्रीय विधायक व पयर्टन मंत्री रामबिलास शर्मा ने जिले को पर्यटन हब बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने पदभार संभालते ही महेंद्रगढ़ एवं माधोगढ़ किले का विभागीय अधिकारियों द्वारा दौरा करवाया। इस पर लगने लगा था कि अब अतिशीघ्र कार्य आरंभ हो जाएगा। सालभर तक अधिकारियों ने योजनाएं भी बनाई व उच्च अधिकारियों को भेजी, लेकिन अभी तक योजनाएं धरातल पर नहीं आने के कारण महेंद्रगढ़ का किला खंडहर में तब्दील होने की ओर अग्रसर है। रायमलिकपुर से खरक-बौंद, लोहारू से वाया महेंद्रगढ़- रेवाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की घोषणा के कारण भी जिले के ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की संभावनाएं बलवती हुई हैं। राजस्थान, दिल्ली से आने वाले सैलानियों के लिए पुरातात्विक महत्व का यह किला आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
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