माधोगढ़ के किले को मिल सकता है पर्यटन स्थल का दर्जा
अरावली पर्वत श्रृंखला के विशाल पहाड़ों के बीच स्थित प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोह ...और पढ़ें

अरावली पर्वत
श्रृंखला के विशाल पहाड़ों के बीच स्थित प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ
ऐतिहासिक धरोहरों को भी अपने अन्दर छिपाए है
उम्मीदें 2016 फोटो : 19,20
एलसी वालिया, सतनाली सतनाली-महेन्द्रगढ़ मुख्य मार्ग पर सतनाली से करीब 10
किलोमीटर की दूरी पर माधोगढ़ गांव स्थित है। माधोगढ़ गांव अरावली पर्वत
श्रृंखला के विशाल पहाड़ों के बीच स्थित प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ
ऐतिहासिक धरोहरों को भी अपने अन्दर छिपाए है। यहां की पहाड़ियों में
विद्यमान प्राकृतिक सौन्दर्य की छटा अनायास ही पहाड़ी की घाटी से गुजरने वाले को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।
माधोगढ़ की पहाड़ी पर स्थित
ऐतिहासिक किलें व धरोहरों के महत्व को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल ने इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिलवाने के लिए पहल की थी, लेकिन समय के साथ-साथ अनेक सरकारें आई और गई, किलें के जीर्णोद्वार व पर्यटन स्थल
बनाने के लिए घोषणाएं भी हुई, लेकिन आज तक माधोगढ़ के ऐतिहासिक किले को
पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया। वर्तमान सरकार ने भी इसे पर्यटन स्थल का दर्जा देकर विकसित करने की घोषणा की लेकिन अभी तक सिरें नहीं चढ़ पाई।
उम्मीद है कि नववर्ष 2016 में माधागेढ़ के किले को पर्यटन स्थल का दर्जा मिल जाएगा।
अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण माधोगढ़ की घाटी में कई
हरियाणवी फिल्मों व हिन्दी धारावाहिकों की शू¨टग भी हो चुकी है। सवाई माधो ¨सह की यादों को समेटे माधोगढ़ के किले व यहां की पहाडि़यों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर देने से न केवल यह हरियाणा का गौरव बन सकता है,
बल्कि यहां के युवाओं को रोजगार व विकास के लिए अनेक साधन उपलब्ध होंगे।
ऐतिहासिक धरोहर दर्शनीय
यहां के पहाड़ पर लगभग तीन सौ फुट की ऊंचाई पर राज्य सरकार द्वारा किले के पास लोक निर्माण विभाग का विश्रामगृह भी बनवाया गया है तथा पहाड़ को काटकर इस
स्थल तक सड़क का निर्माण भी करवाया गया है। माधोगढ़ की पहाडि़यों के बीच
बाबा गुदड़िया का मन्दिर भी स्थित है। ऐसी मान्यता है कि पहाड़ के बीच
बियावान जंगल व भयंकर तंग मोड़ पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए बाबा का आशीर्वाद किसी वरदान से कम नही है। पहाड़ों के बीच में एक प्राचीन तालाब भी स्थित है तथा विशाल पत्थरों के साथ-साथ बालू मिट्टी के टीले भी स्थित हैं, जिन पर प्रकृति द्वारा उपजे पेड़ पौधों व राज्य के वन विभाग द्वारा लगवाए गए पौधों के कारण यहां की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है।
यहां की पर्वत श्रृंखला में कई प्रकार की जड़ी-बूटी मिलती है तथा
पहाड़ों के बीच में अपने आहार की तलाश में विचरण करती भेड़ बकरियां अनायास ही मानव का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। पहाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था के लिए मन्दिर के समीप ही पुलिस चौकी भी स्थापित कर रखी है।
सरकारी योजनाओं की शुरुआत हुई थी माधोगढ़ गांव से
माधोगढ़ गांव कई मामलों में विशेष महत्व रखता है। देखा जाए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. देवीलाल ने गांव की गलियों में प्रकाश व्यवस्था कायम करने की योजना की शुरुआत प्रदेश स्तर पर इसी गांव से प्रकाश व्यवस्था का शुभारंभ
करते हुए की थी। राज्यस्तरीय मुक्त द्वार प्रशासन शिविरों का आयोजन कर
जनसमस्याओं का समाधान करने के लिए हरियाणा का प्रथम प्रशासन शिविर भी इसी गांव में लगाया गया था। इन्दिरा आवास योजना के तहत आवासीय कालोनी भी महेन्द्रगढ़ जिले में सर्वप्रथम माधोगढ़ गांव में ही बनी थी। वर्तमान में माधोगढ़ गांव में अत्याधुनिक धर्मशालाएं भी स्थापित की गई है। माधोगढ़
गांव में पहाड़ियों में बरसात के पानी की रोकथाम के लिए व पशुओं तथा जंगली जीवों को पानी सुलभ करवाने हेतु बांध का निर्माण भी करवाया गया है। सरकार द्वारा उठान ¨सचाई परियोजना के तहत यहां की नहरों में पानी के उठान चढ़ाव द्वारा बिजली तैयार की जानी थी तथा इसके लिए पावर हाउस निर्माण भी करवाया
गया था। लेकिन आज तक नहरी पानी के अभाव में योजना आरम्भ नहीं हो पाई तथा नहरें बालू मिट्टी से अटी है।
अतीत में नहीं सिरे चढ़ पाई सरकार की घोषणाएं
तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल ने माधोगढ़ को पर्यटन केन्द्र बनाने के लिए अथक प्रयास किए थे तथा वर्ष 1977 में पंचायत की करीब आठ एकड़ भूमि पर्यटन विभाग
के नाम भी करवा दी। महेन्द्रगढ़ के तत्कालीन एसडीएम एसडी बनर्जी ने किले के पास एक छोटा सा पीडब्लयूडी रेस्ट हाउस का निर्माण भी करवाया। बंसीलाल के
अधूरे सपने को पूरे करने के लिए उनकी पुत्रवधु किरण चौधरी ने वन एवं पर्यटन मंत्री के पद पर रहते सार्थक प्रयास किए, लेकिन न जाने किन परिस्थितियों में वे इसे पर्यटन केन्द्र का दर्जा नही दिलवा पाई।
यहां से गुजरने वाले अधिकारी व राजनीतिक पार्टियों के नेता घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को
तो निहारते है, लेकिन यहां के विकास व इसे पर्यटन केन्द्र का दर्जा दिलवाने के लिए किसी ने भी प्रयास नहीं किए। वर्तमान में स्थानीय विधायक एवं शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने दो बार विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ इस किले का दौरा किया तथा पर्यटन स्थल बनाने की संभावनाओं को देखकर इसे
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक माधोगढ़ का किला पर्यटन स्थल नहीं बन पाया। अब देखने वाली बात यह
है कि शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिलवाकर
विकसित करवा पाते है या फिर उनके प्रयास भी पूर्व मुख्यमंत्री चौ बंसीलाल की तरह अधूरे रहेंगे। यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इतना अवश्य है कि सरकार व प्रशासन द्वारा इस दिशा में तेजी से काम किए जाने से क्षेत्रवासियों में उम्मीद है कि नववर्ष में क्षेत्र के लोगों को यह तोहफा
मिल सकता है।

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