मां चामुंडा देवी मंदिर, नारनौल
फोटो नं 2, 3, 4 शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक मां चामुंडा देवी मंदिर इलाके के सुप्रसिद्ध मंदिर
फोटो नं 2, 3, 4
शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक मां चामुंडा देवी मंदिर इलाके के सुप्रसिद्ध मंदिर है। नवरात्र के दौरान इस मंदिर की भव्य सजावट की जाती है और गहरी आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है।
शहर के आजाद चौक के समीप पहाड़ी की तलहटी पर बने भव्य मंदिर की आजकल नवरात्र के उपलक्ष्य में तैयारियां चल रही हैं। 21 अक्टूबर को यहां भव्य मेला आयोजित किया जाएगा। इस मेले को लेकर मां चामुंडा देवी धर्मार्थ ट्रस्ट की एक महत्वपूर्ण मी¨टग प्रधान सूरज बौहरा की अध्यक्षता में हो चुकी है। इस मी¨टग में ट्रस्ट के सदस्यों एवं सेवादारों को जिम्मेवारियां सौंपी जा चुकी हैं। नवरात्र के समापन पर रामनवमी के अवसर पर लगने वाले मेला में आने वाले भक्तजनों के लिए हाथ धोने एवं पीने के पानी, जूता-चप्पल व्यवस्था, प्रसाद वितरण, भक्तों की लाइन लगवाने, सजावट, महिलाओं की सुरक्षा एवं सीसीटीवी आदि पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया तथा प्रबंधों में कोई कमी न आने देने का संकल्प लिया गया।
मंदिर का इतिहास :
शहर के हृदय में बसा मां चामुंडा देवी का मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। दंत कथाओं के अनुसार इस मंदिर को महाराज नूणकर्ण ने बनवाया था। मां चामुंडा देवी राजा नूणकर्ण के कुल की इष्ट देवी थी। कुलदेवी की वे पूजा-अर्चना करते थे तथा सारी प्रजा की सुरक्षा एवं सुख की कामना करते थे। बताते हैं कि नारनौल शहर को भी उन्हीं ने बसाया था।
मंदिर की विशेषता :
अंग्रेजों के शासनकाल के बाद इस मंदिर का दुबारा से जीर्णोद्धार किया गया। वर्तमान में इसका कई बार नवीनीकरण किया जा चुका है तथा मंदिर को आधुनिक एवं भव्य आकार दिया जा चुका है। मंदिर में मां चामुंडा के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। माता के मंदिर के श्रद्धालुओं ने चांदी से बनवाएं हैं तथा माता की मूर्ति पर रंग-बिरंगी रोशनी अलग ही छटा बिखेरती है।
ऐसे पहुंचे मंदिर :
नारनौल के बस स्टैंड से सीधे किला रोड तक ऑटो जाते हैं। किला रोड उतरने के बाद कुछ दूरी पर ही मंदिर स्थित हैं, जहां श्रद्धालुओं को कुछ दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। रेलवे से आने वाले श्रद्धालुओं को भी ऑटो के जरिए किला रोड तक जाना पड़ता है। उसके आगे का सफर पैदल या रिक्शा से तय कर सकते हैं।
दो समय होती है आरती :
सामान्य दिनों में मंदिर में दो बार सुबह एवं शाम को पूजा-अर्चना होती है। प्रात:काल को 5 बजे से 11 बजे तथा शाम को 5 बजे से रात 11 बजे तक पूजा होती है। नवरात्र के समय श्रद्धालुओं के लिए मंदिर 24 घंटे खुला रहता है।
लोकल टीवी पर होता है सीधा प्रसारण :
नवरात्र के समापन पर इस बार 21 अक्टूबर की शाम को मंदिर में भव्य मेला आयोजित किया जाएगा। इस मेले के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई है। यह प्रशासन लोकल केबल पर प्रसारित किया जाएगा, ताकि मंदिर न आ पाने वाले श्रद्धालु भी घर बैठे माता के दर्शन कर सकें और मेले का आनंद ले सकें।
''नवरात्र के मेले की तैयारियां की जा रही हैं। सभी बिन्दुओं पर विचार-विमर्श हो चुका है और जिम्मेवारियां सौंपी जा चुकी हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं को माता के दर्शनों में कोई दिक्कत न आए, ऐसी व्यवस्था की जा रही है। पुलिस एवं सेवादारों का सहयोग लिया जाएगा।
-सूरज बौहरा, प्रधान, मां चामुंडा देवी धर्मार्थ ट्रस्ट, नारनौल।
''मंदिर में मौजूद माता के साक्षात दर्शन करने से श्रद्धालुओं की मन्नतें पूर्ण होती हैं। रामनवमी के दिन माता की भक्तों पर विशेष कृपा बरसती है। इस दिन शाम को मेला भी लगता है।
-सत्यनाराण, पुजारी, मां चामुंडा देवी मंदिर, नारनौल।
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