साहित्य से समाज को नई दिशा देता है लेखक : डा. कृष्ण गोपाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि साहित्य समाज के मन को बदलता है। आज सद्साहित्य पढ़ने की रुचि कम हो रही है। घरों से ग्रंथालय गायब हो रहे हैं।
फोटो संख्या : 17, 18 -विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में 21 पुस्तकों का विमोचन, साहित्यकारों को मिला सम्मान जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि साहित्य समाज के मन को बदलता है। आज सद्साहित्य पढ़ने की रुचि कम हो रही है। घरों से ग्रंथालय गायब हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेखक मनुष्य की गहराइयों को बताने वाला साहित्य लिखते थे। हर कहानी के पीछे उद्देश्य होता था। प्रेमचंद फकीरी में जीते थे, लेकिन कहानी ऐसी लिखते थे, जिससे समाज को दिशा मिल जाए। वह रविवार को विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान की ओर से आयोजित पुस्तक विमोचन एवं साहित्य सम्मान समारोह में बतौर मुख्यवक्ता बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे विश्व में सिविलाइजेशन का एक संघर्ष चल रहा है। सिविलाइजेशन का एक सेंटर प्वाइंट विज्ञान है। विज्ञान आगे बढ़ता है तो आविष्कार करता है और आविष्कार नई टेक्नोलाजी लाता है। यही टेक्नोलाजी इंडस्ट्री के पास पहुंचती है और इंडस्ट्री नए सामान तैयार करती है। इस सामान को व्यापारी पकड़ता है। इसके बाद इसका विज्ञापन होता है और यह बाजार में बिकता है। सिविलाइजेशन विज्ञान के चारों ओर घूमती है।
शिल्प व्यक्ति को बांधता है
उन्होंने सा विद्या या विमुक्तये श्लोक का अर्थ बताते हुए कहा कि शिल्प व्यक्ति को बांधता है और विद्या मुक्त कराती है। ज्यों-ज्यों व्यक्ति आत्मकेंद्रित होता है, बंधता जाता है। ज्यों-ज्यों विकेंद्रित होता है, खुलता जाता है। मुक्ति विकेंद्रित होने में है। ग्रंथ मनुष्य के अंदर की विकेंद्रीकरण की सामग्री है। उन्होंने कहा कि पुस्तकें ज्ञान देती हैं। ज्ञान व्यक्ति को विवेक देता है, विवेक बताता है कि हमारे लिए करने योग्य और ना करने योग्य कौन सा काम है। आज तनाव भरी जिदगी में संसाधन बढ़ते जा रहे हैं और शांति गायब हो रही है। मन की शांति के लिए अच्छा साहित्य पढ़ना जरूरी है।
ज्ञान के विकल्प को पैदा करती है पुस्तक : डा. गोविद
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. गोविद प्रसाद शर्मा ने कहा कि पुस्तक ज्ञान के विकल्प को पैदा करती है। पुस्तकों का समाज में श्रेष्ठ स्थान है। पुस्तकों से व्यक्ति को श्रेष्ठ बनने का विचार परिष्कृत होता है। केंद्रीय हिदी संस्थान आगरा की निदेशक डा. बीना शर्मा ने कहा कि अब बड़ों पर भी यह दायित्व है कि कम से कम वे अपने घर में ग्रंथालय अवश्य बनाएं और पुस्तकें पढ़ने की आदत डालें।
अतिथियों का आभार जताया
कार्यक्रम के अंत में संस्थान के अध्यक्ष डा. ललित बिहारी गोस्वामी ने सभी का आभार जताया। इस मौके पर विभाअभा शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष दुसी रामकृष्ण राव, संस्थान के सचिव अवनीश भटनागर मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के निदेशक डा. रामेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर विभा पूर्व छात्र परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. पंकज शर्मा, डा. हुकम सिंह, डा. हिम्मत सिंह सिन्हा, केसी रंगा मौजूद रहे।
इन साहित्यकारों को मिला संस्कृति भवन-साहित्य सेवा सम्मान
डा. ललित बिहारी गोस्वामी (दिल्ली), डा. विकास दवे (मध्य प्रदेश), वासुदेव प्रजापति (राजस्थान), देवेंद्र राव देशमुख (छत्तीसगढ़), रवि कुमार (कुरुक्षेत्र), गोपाल माहेश्वरी (मध्य प्रदेश), राजकुमार सिंह (उत्तर प्रदेश), रत्न चंद सरदाना (कुरुक्षेत्र), देवेनचंद्र दास सुदामा (असम), डा. अजय शर्मा (उत्तर प्रदेश), डा. वंदना गुप्ता (मध्य प्रदेश), माधवराव कुलकर्णी (महाराष्ट्र), डा. बीना शर्मा (उत्तर प्रदेश), डा. ओएसआर मूर्ति (आंध्र प्रदेश), डा. मंजरी शुक्ला।
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