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    डॉक्टर मार डालेगा... एक साल से बीमार पड़ी रही लेकिन नहीं कराया इलाज, क्राइम पेट्रोल में महिला ने ऐसा क्या देखा?

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 12:31 PM (IST)

    कुरुक्षेत्र के एलएनजेपी अस्पताल में एक महिला को गंभीर एनीमिया के साथ भर्ती कराया गया। महिला एक साल से बीमार थी, लेकिन 'क्राइम पेट्रोल' देखने के कारण डॉक्टरों से डरती थी। पति के समझाने पर उसे अस्पताल लाया गया, जहाँ उसे रक्त चढ़ाया गया। डॉक्टरों के अनुसार, हीमोग्लोबिन का स्तर बहुत कम होने से कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का खतरा था।

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    एलएनजेपी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में दाखिल मीना देवी की जांच करते हुए डा. शैलेंद्र ममगाईं शैली । जागरण  


    विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र। हीमोग्लोबिन अगर तीन ग्राम प्रतिशत से कम हो तो कंजेस्टिव हार्ट फेलियर हो जाता है। यह आश्चर्य की बात है कि लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक (एलएनजेपी) अस्पताल में एक महिला के रक्त में 0.9 ग्राम हीमोग्लोबिन (एनीमिया) की मात्रा के साथ दाखिल किया गया। महिला का रंग पीला पड़ा चुका है और वह एक साल से बीमार थी, मगर क्राइम पेट्रोल अत्यधिक देखने के चलते वह चिकित्सकों के पास जाने से डरती थी, कहीं कोई चिकित्सक उसकी हत्या न कर दे।

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    जब तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो निकटवर्ती गांव रावगढ़ निवासी रमेश अपनी पत्नी को समझा-बुझाकर एलएनजेपी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उसका इलाज शुरू किया गया। महिला की स्थिति को देखते हुए टेस्ट करवाने के तुरंत बाद उसे एक यूनिट रक्त चढ़ाया गया। अब तक महिला को दो यूनिट रक्त लगाया जा चुका है।

    क्राइम पेट्रोल देखती थी महिला

    रावगढ़ निवासी रमेश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी मीना देवी क्राइम पेट्रोल सीरियल बहुत देखती है। एक साल से उसकी तबीयत खराब थी, मगर वह किसी भी चिकित्सक के पास जाने से डरती थी कि कहीं वह उसकी हत्या न कर दे। उसकी पत्नी को कुछ दिनों से रक्तस्त्राव भी हो रहा था। बहुत समझाने के बाद उसे अस्पताल लेकर पहुंचे।

    12 से 16 ग्राम प्रतिशत होना चाहिए HB

    एक स्वस्थ महिला के रक्त में हीमोग्लोबिन 12 से 16 ग्राम प्रतिशत होना चाहिए। मेडिकल साइंस के मुताबिक रोगी के रक्त में हीमोग्लोबिन तीन ग्राम से कम होने से कंजेस्टिव हार्ट फेलियर से उसकी मौत हो सकती है।

    शरीर में रक्त-अल्पता एकाएक हो तो यह स्थिति बन सकती है। धीरे-धीरे रक्त की कमी होने की स्थिति में शरीर कई बार एडजेस्ट कर लेता है, मगर इससे दिल, फेफड़ों, गुर्दों, दिमाग और दूसरे अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

    खासकर आक्सीजन की कमी हो जाती है। महिला की स्थिति अब पहले से ठीक लग रही है। जिन लोगों को बैठे-बैठे या काम करने पर सांस चढ़ना हो, उन्हें अपने रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच जरूर करवानी चाहिए।

    रक्त की कमी से हार्ट अटैक की संभावना भी बढ़ जाती है। मीना की सभी जांच करवाई जा रही हैं और उसके मुताबिक उसका इलाज पूरा किया जाएगा। 2002 में उन्होंने स्थानीय एक युवक के रक्त में दो ग्राम प्रतिशत हीमोग्लोबिन होने के चलते इलाज किया था, रक्त में

    हीमोग्लोबिन की मात्रा उससे भी आधी निकली। -डा. शैलेंद्र ममगाईं शैली, परामर्शक व हृदय एवं छाती रोग विशेषज्ञ, एलएनजेपी अस्पताल, कुरुक्षेत्र।