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    जहां कृष्ण है वहां धर्म है और जहां धर्म है वहीं विजय : ज्ञानानंद

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 23 Aug 2021 11:33 PM (IST)

    गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जहां कृष्ण हैं वहीं धर्म है और जहां धर्म है वहीं विजय होती है। अपने कर्तव्य की पालना करना ही गीता का सार है। उन्होंने गीता ज्ञान संस्थानम में सोमवार को यह बात दिव्य गीता सत्संग के समापन अवसर पर कही।

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    जहां कृष्ण है वहां धर्म है और जहां धर्म है वहीं विजय : ज्ञानानंद

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    जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जहां कृष्ण हैं, वहीं धर्म है और जहां धर्म है, वहीं विजय होती है। अपने कर्तव्य की पालना करना ही गीता का सार है।

    उन्होंने गीता ज्ञान संस्थानम में सोमवार को यह बात दिव्य गीता सत्संग के समापन अवसर पर कही। सत्संग में नगर के प्रसिद्ध डा. अजय अग्रवाल, डा. प्रेरणा अग्रवाल ने मुख्यातिथि और विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. संजीव शर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त सेशन जज डा. आरएन भारती ने किया।

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    स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि युद्ध की भूमि में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से गीता का उपदेश समस्त मानव कल्याण के लिए दिया। यह पहला ग्रंथ है जिसमें युद्ध की भूमि से शांति का संदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि अर्जुन महाभारत के युद्ध में मोहग्रस्त हो गए थे तो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उसका कर्तव्य याद करवाया। उन्होंने कहा कि अपने कर्तव्य का पालन करना ही गीता का सार है। विपक्ष से आशीर्वाद लेने की परंपरा भी भारत की धरा पर ही देखी जा सकती है। अर्जुन ने युद्ध शुरू करने से पूर्व विपक्षी खेमे के अपने बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया। उस समय भीष्म पितामह ने अर्जुन को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि जहां धर्म है वहां कृष्ण है और जहां कृष्ण है, वहीं विजय है। महाभारत का युद्ध भगवान श्रीकृष्ण की ही लीला थी। कुरुक्षेत्र की भूमि उस औलोकिक और अद्भूत घटना की साक्षी है, जहां युद्ध के मैदान से शांति का संदेश दिया गया। भगवान श्री कृष्ण ने विश्व को एक आलौकिक ज्ञान देने के लिए इस तरह की लीला की। भगवान श्री कृष्ण की हर अदा और घटना एक लीला है और कृष्ण की हर लीला में गीता की प्रेरणा छुपी हुई है। कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन की बांसुरी को शब्दों का भाव दिया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बांसुरी की ताल जीवन में मिठास भरती है, ठीक इसी प्रकार गीता का अनुशरण करने से भी जीवन में मिठास आती है। इससे पहले अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आरएसएस के विभाग कार्यवाहक एवं कुवि डा. आंबेडकर अध्ययन केंद्र के सहायक निदेशक डा. प्रीतम, परीक्षा नियंत्रक डा. हुकम सिंह रंगा, प्रो. सीपी त्रिपाठी, श्री ब्राह्माण एवं तीर्थोद्धार सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा, जजपा सेवादल के प्रदेशाध्यक्ष मायाराम चंद्रभानपुर, पूर्व कुलपति डा. राधेश्याम, पुलिस पीआरओ नरेश सागवाल, मातृभूमि सेवा मिशन के संचालक डा. श्रीप्रकाश मिश्रा, केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी, जिला बार एसोसिएशन के प्रधान गुरतेज सिंह शेखों ने गीता पूजन किया और आरती में भाग लिया।

    कृष्ण कृपा समिति के प्रधान हंसराज सिगला व केडीबी सदस्य महेंद्र सिगला ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन समिति के महासचिव एवं संक्रीर्तन प्रमुख सुनील वत्स ने किया।