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    क्या है 'उत्तर बस्ती'? महिलाओं की सूनी गोद भरने में बन रही वरदान, कई निसंतान दंपतियों के जीवन में आया उमंग

    कुरुक्षेत्र में आयुर्वेदिक विधि उत्तर बस्ती कई महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है खासकर उन महिलाओं के लिए जो बांझपन से पीड़ित हैं। आधुनिक चिकित्सा में लेप्रोस्कापी की सलाह दी जाती है वहीं आयुर्वेदिक अस्पताल में उत्तर बस्ती के माध्यम से चार से छह महीने में ही फैलोपियन ट्यूब स्वस्थ हो गई हैं।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 24 Aug 2025 09:14 AM (IST)
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    'उत्तर बस्ती' से महिलाओं की भर रही सूनी गोद।

    विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र। आयुर्वेदिक संहिताओं में वर्णित उत्तर बस्ती ने कई महिलाओं की सूनी गोद को भरकर उनके जीवन में नई उमंग का संचार किया है। जिन महिलाओं को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में लेप्रोस्कापी कराने की सलाह दी गई थी, उनकी ट्यूब उत्तर बस्ती के माध्यम से चार से छह माह में ही स्वस्थ हो गई हैं।

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    बता दें कि शादी के बाद इनफर्टीलिटी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसमें अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब एक प्रमुख कारण है। श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान अस्पताल के स्त्री रोग विभाग में प्रतिदिन 20 से अधिक महिलाएं गर्भधारण में असमर्थता की समस्या लेकर आती हैं, जिनमें से लगभग छह से सात महिलाएं अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब की समस्या से ग्रसित होती हैं।

    स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर सुनीति तंवर ने बताया कि प्रकृति ने महिलाओं को जन्म देने की अद्भुत क्षमता दी है, लेकिन कई कारणों से कुछ महिलाएं इस अनुभव से वंचित रह जाती हैं। आयुर्वेद में उत्तर बस्ती स्त्री रोगों के समाधान के लिए एक वरदान के समान है।

    आयुर्वेद में हार्मोनल असंतुलन और जीवन शक्ति को पुनर्स्थापित करने की अद्भुत क्षमता है। प्रोफेसर तंवर ने बताया कि फैलोपियन ट्यूब ब्लाकेज के कई कारण होते हैं, जिनमें पेल्विक इंफ्लामेटरी संक्रमण, गर्भाश्य में गांठ, लंबे समय तक सफेद पानी का होना और पुरानी सर्जरी शामिल हैं।

    तंवर ने बताया कि उनकी ओपीडी में प्रतिदिन 80 से 100 केस आते हैं, 25 से 30 केस गर्भधारण में असमर्थता के होते हैं। इनमें से छह से सात केस फैलोपियन ट्यूब ब्लाकेज के होते हैं।

    डॉक्टरों ने दी आपरेशन की सलाह, यहां उपचार से ही राहत

    केस-1: प्रोफेसर सुनीति तंवर के मुताबिक कैथल निवासी 35 वर्षीय महिला की शादी के दो साल बाद भी संतान नहीं हो पाई। जांच में पता चला कि महिला की दोनों फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध हैं। उसे आपरेशन कराने की सलाह दी गई।

    महिला तीन दिसंबर 2024 को आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल पहुंची। जांच में पता चला कि उसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज संक्रमण की वजह से ट्यूब ब्लाकेज होने के बारे में पता लगा। उसे उत्तर बस्ती दी गई। 11 जुलाई 2025 को दोबारा किए गए एक्स-रे (एचएसजी) में एक ट्यूब खुली हुई आई।

    केस-2: कुरुक्षेत्र निवासी 25 वर्षीय महिला की शादी को चार साल हो चुके थे, लेकिन गर्भधारण नहीं हो पाया। जांच में पता चला कि सफेद पानी की समस्या के साथ उसकी दोनों ट्यूब बंद हैं। महिला ने 10 दिसंबर 2024 को आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार शुरू कराया। उत्तर बस्ती के बाद 27 मई 2025 को जांच में उसकी दोनों ट्यूब खुली मिली।

    केस-3 कैथल के पूंडरी निवासी 25 वर्षीय महिला की शादी को छह साल हो चुके थे, लेकिन गर्भधारण नहीं हो पाया। जांच में पता चला कि उसकी दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लाक थी। महिला ने नवंबर 2024 में आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार शुरू कराया।

    उसे उत्तर बस्ती दी गई, जिसके बाद मई 2025 में महिला की ट्यूब खुल गईं। उपचार के पांच माह बाद उसकी ट्यूब सामान्य रूप से कार्य करने लगी, जिससे गर्भधारण की संभावना बनी।

    जानिये क्या है उत्तर बस्ती

    उत्तर बस्ती एक आयुर्वेदिक चिकित्सा विधि है, जिसमें औषधीय तेल, घी या काढ़ा दिया जाता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक पंचकर्म प्रक्रिया है, जिसका उपयोग मूत्र और प्रजनन संबंधी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।

    उत्तर बस्ती महिलाओं के लिए बांझपन, फैलोपियन ट्यूब ब्लाकेज, और मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं को ठीक करने में विशेष रूप से प्रभावी है। यह उपचार महिलाओं को हर माह मासिक धर्म के बाद तीन दिन तक दिया जाता है।

    उपचार से पहले महिला की प्रकृति और फैलोपियन ट्यूब ब्लाकेज के कारण का विश्लेषण किया जाता है। यदि पेल्विक इंफ्लामेटरी संक्रमण का कारण है, तो अलग तेल और औषधियों का प्रयोग किया जाता है। सफेद पानी की समस्या होने पर भी उपचार किया जाता है।

    स्त्री रोग विभाग में आयुर्वेदिक उपचार से हो रहे सकारात्मक परिणाम महिलाओं के जीवन में नई उमंग भर रहे हैं। उत्तर बस्ती से निसंतान दंपतियों को नई उम्मीद है। यह एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रोगी की शारीरिक स्थिति, रोग की प्रकृति और खान-पान सभी का विशेष ध्यान रखा जाता है।

    अस्पताल में उपचार केवल दवा तक सीमित नहीं है, बल्कि हर महिला को उचित परामर्श, जीवनशैली सुधार और मानसिक संबल भी दिया जाता है। यह चिकित्सा पद्धति न केवल रोग दूर करती है, बल्कि महिला के पूरे स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को संतुलित करती है।

    -प्रोफेसर राजा सिंगला, चिकित्सा अधीक्षक, आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान अस्पताल