Chandrayaan-4 और 5 के लिए क्या है ISRO का प्लान? पूर्व अध्यक्ष ने बताया मिशन अंतरिक्ष की कैसी चल रही तैयारी
Kurukshetra News चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन के साथ चंद्रमा पर अपने अभियान को आगे बढ़ा रहा है। चंद्रयान-4 चांद की सतह से मिट्टी के नमूने एकत्र करेगा जबकि चंद्रयान-5 मानव मिशन के लिए चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लैंडिंग अंतरिक्ष स्टेशन और स्पेस डॉकिंग पर काम करेगा। इस बात की विस्तृत जानकारी इसरो के पूर्व चेयरमैन श्रीधर सोमनाथ ने दी है।

विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र। चंद्रयान 3 मिशन ने देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि दिलाने के साथ जो राह तैयार की है, अब उसी राह पर चंद्रयान 4 और चंद्रयान 5 में चलेंगे। चंद्रयान 4 चांद की सतह पर जाएगा और वहां से मिट्टी लेकर वापस आएगा, जिस पर वैज्ञानिक अलग-अलग तरीके शोध करेंगे।
इन्हीं शोध के परिणामों को देखते हुए चंद्र अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए चंद्रयान 5 को भेजा जाएगा। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्रीधर सोमनाथ ने दैनिक जागरण संवाददाता से विशेष बातचीत करते हुए कही।
वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे। अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनकी चंद्रयान 3 की उपलब्धि को देखते हुए कुवि की ओर से उन्हें गोयल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया और डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की उपाधि से भी अलंकृत किया है।
पिछले 10 वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत ने की तरक्की
उन्होंने कहा कि पिछले 8-10 वर्षों में देश ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में तरक्की करते हुए भारत ने विश्व के सामने जो छाप छोड़ी है, आज पूरा विश्व भारत को उम्मीद की नजरों से देखने लगा है।
अंतरिक्ष के इन्हीं अभियानों की सफलता से आज हमारे पास इतना डाटा इकट्ठा हो गया है कि इस पर शोध से हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आंकलन कर कृषि के क्षेत्र में कई तरह के बदलाव कर सकते हैं।
उन्होंने अभियान से जो भी डाटा जुटाया है उसे सार्वजनिक किया गया है। इसी डाटा के विश्लेषण कर वैज्ञानिक इस तरह की कृषि पद्धति पर विचार कर रहे हैं जो जलवायु परिवर्तन में भी असर कारक होगी।
इन शोध के बाद कृषि क्षेत्र में पैदावार प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चंद्रयान 5 मानव मिशन में चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनाट के लैंडिंग, अंतरिक्ष स्टेशन, स्पेस डाकिंग पर कार्य किया जाएगा।
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'विश्वविद्यालय अपना स्पेस क्राफ्ट तैयार करेगा तो करेंगे सहयोग'
इतना ही नहीं डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय अगर अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने की योजना तैयार कर अपना स्पेस क्राफ्ट बनाता है तो इसरो उन्हें इसमें पूरा सहयोग करेगा।
उनके पास जो भी जरूरी डाटा है वह उसे कुवि को उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हैं। इस डाटा की मदद से कई क्षेत्राें में महत्वपूर्ण कार्य किया जा सकता है। यही नहीं वह कुवि को स्पेस कोर्स का डाटा भी दे सकते हैं, उससे कुवि अपने विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर सकता है।
'2040 तक भारत स्थापित करेगा अंतरिक्ष स्टेशन'
इसरो के पूर्व अध्यक्ष डा. एस सोमनाथ ने फैक्लटी लाज में विशेष व्याख्यान दिया और विद्यार्थियों को अंतरिक्ष अभियान के बारे में बारीकी से समझाया। उन्होंने कहा कि 2040 तक भारत अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा। चंद्रयान थ्री की लैंडिंग से स्पेस क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बन गया है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का भविष्य उज्ज्वल है। आज भारतीय वैज्ञानिक पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएमथ्री व एसएसएलवी रॉकेट व उपग्रह निर्माण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत 2047 तक भारतीय अंतरिक्ष विजन को प्राप्त करेगा।
इसके साथ ही उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के विकास, लक्ष्यों एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों ने विज्ञान, इंजीनियरिंग व टेक्नालोजी का प्रयोग कर इस क्षेत्र में देश में विकसित कर पूर्ण सफलता प्राप्त की।
'डॉ. एस सोमनाथ ने बढ़ाया भारत का मान'
उन्होंने सेटेलाइट व स्पेस प्रोग्राम के कम्युनिकेशन, नेविगेशन, इन्वायरमेंट, क्लाइमेट चेंज, मरिन फिशिंग वैस्सल में उपयोगिता व स्टार्टअप क्षेत्र में युवाओं के भविष्य के बारे में बताया। कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि इसरो के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. एस सोमनाथ ने पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाने का कार्य किया है।
चंद्रयान तीन में उनके अहम योगदान से भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई पहचान मिली है। उनके अंतरिक्ष विज्ञान में महान योगदान के लिए उन्हें कुवि की ओर से वर्ष 2021-22 के लिए गोयल शांति पुरस्कार दिया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रो. अनीता भटनागर, कुवि शैक्षणिक मामले अधिष्ठाता प्रो. दिनेश कुमार, गोयल पुरस्कार के सह अध्यक्ष प्रो. एसपी सिंह, संयोजक एवं डीन लाइफ साइंस प्रो. संजीव अरोड़ा, प्रो. भगवान सिंह चौधरी, लोक संपर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया मौजूद रहे।
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