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कहीं कनेक्शन नहीं, तो कहीं गंदगी से अटे हैं टॉयलेट

पांच साल में स्वच्छता एक बड़ा मुद्दा रहा है। खुले में शौच के दाग को धोने के लिए सरकार ने पांच साल में मोबाइल ई-टॉयलेट और जनसुविधा केंद्र तो बना दिए मगर उनमें से कई अनदेखी का शिकार हो गए। कहीं प्रशासन बिजली और सीवर कनेक्शन देना भूल गया तो कुछ जगह पर टॉयलेट गंदगी से अट गए। ई-टॉयलेट का ऑटोमेटिक दरवाजा खोलने में ही लोगों का पसीना छूट गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:41 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 11:41 PM (IST)
कहीं कनेक्शन नहीं, तो कहीं गंदगी से अटे हैं टॉयलेट

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पांच साल में स्वच्छता एक बड़ा मुद्दा रहा है। खुले में शौच के दाग को धोने के लिए सरकार ने पांच साल में मोबाइल, ई-टॉयलेट और जनसुविधा केंद्र तो बना दिए, मगर उनमें से कई अनदेखी का शिकार हो गए। कहीं प्रशासन बिजली और सीवर कनेक्शन देना भूल गया, तो कुछ जगह पर टॉयलेट गंदगी से अट गए। ई-टॉयलेट का ऑटोमेटिक दरवाजा खोलने में ही लोगों का पसीना छूट गया। हर बार सिक्का डालने की समस्या में उलझे लोगों ने जब शौचालय के बाहर ही जाना शुरू कर दिया तो उनके दरवाजों के लॉक भी हटाने पड़े। इस सबसे खुले में शौच की काफी स्थिति तो सुधरी मगर पूरी तरह से नहीं।

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साधु मंडी में यूरिनल शौचालय बनाया गया, जिसका कनेक्शन आज तक सीवर में नहीं दिया गया। इससे शौचालय की गंदगी वहीं खुले मैदान में फैलने लगी, जिसके बाद दुकानदारों ने इसका उपयोग करना ही बंद कर दिया। इसके बाद गांधी नगर के मोबाइल शौचालय की हालत आज तक नहीं सुधरी। सुनसान और गंदगी में खड़े होने से इसमें लोग जाने से परहेज करते हैं।

कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के दूसरे द्वार के सामने खुले में शौच जाने वाले सब्जी मंडी के दुकानदारों के लिए नगर परिषद ने ई-टॉयलेट लगाया तो दरवाज खोलने के लिए दो रुपये के सिक्के का प्रयोग होने की वजह से यह बंद ही रह गया और नप को इसका आटोमैटिक लॉक सिस्टम ही खुलवाना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या महिलाओं के लिए है। मुख्य बाजार में सूट, साड़ी और कास्मेटिक्स की सबसे बड़ी मार्केट होने के बावजूद यहां महिलाओं के लिए कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से महिलाओं को परेशानी से जूझना पड़ता है।


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