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    बच्चों में हर्निया और अपेंडिक्स जैसी गंभीर बीमारी

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 18 Nov 2020 06:20 AM (IST)

    बचों में हर्निया और अपेंडिक्स जैसी गंभीर बीमारी भी होती हैं।

    बच्चों में हर्निया और अपेंडिक्स जैसी गंभीर बीमारी

    जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र : बच्चों में हर्निया और अपेंडिक्स जैसी गंभीर बीमारी भी होती हैं। कई बार अभिभावकों को इसका पता नहीं होता। ऐसे में ये गंभीर हो जाते हैं। अपेंडिक्स का तो फटने का भी खतरा रहता है। ऐसे में बच्चों की जान भी जा सकती है। इसके साथ बच्चों में खाने की नली न होना भी गंभीर है।

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    राधा किशन अस्पताल के बाल शल्य चिकित्सक डा. अनुज भाटिया बताते हैं कि पहले बच्चों की सर्जरी कुरुक्षेत्र में नहीं की जा सकती थी। उनको दिल्ली या चंडीगढ़ जाना पड़ता था। अब इस तरह की बीमारी से ग्रस्त बच्चों का ऑप्रेशन अस्पताल में किया जाता है। इसके अलावा जन्म से बच्चों की गोली पोते में न उतरना या सांस की नली में मुंगफली का दाना या दूसरी चीज फंस जाना भी गंभीर है। अब तक इस तरह के कई बच्चे उनके पास बेहद गंभीर स्थिति में आ चुके हैं और सभी बच्चों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया है। कुछ बच्चों की आंत में आंत भी फंस जाती है। पहले इसका ऑप्रेशन से ही इलाज संभव था। अब बिना ऑप्रेशन इलाज संभव है। ऐसे कई बच्चे उनके सामने आ चुके हैं। कई बच्चों की जन्म से ही खाने की नली भी नहीं होती

    कुछ बच्चों में खाने की नली नहीं होती। यह गंभीर विषय है। ऐसे 40-50 फीसद बच्चे ही बच पाते हैं, लेकिन उन्होंने इलाज कर सभी बच्चों को जीवन दिया है। उन्होंने खाने की नली को पेट से बदलने के कई ऑप्रेशन भी सफलतापूर्वक किए हैं। इनमें दो कुरुक्षेत्र और एक करनाल का बच्चा है। ये सभी सकुशल हैं।

    शोच का रास्ता न होना भी बच्चों में गंभीर विषय है। इसके तीन ऑप्रेशन होते हैं। उन्होंने ऐसे दस बच्चों के ऑप्रेशन किए हैं। ऐसी कई गंभीर बीमारियों का आयुष्मान योजना में निशुल्क ऑप्रेशन किया जाता है। बच्चों से खिलखिलाया आंगन शाहाबाद निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि उसकी पत्नी ने एक निजी अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। उसके बेटे को जन्म से ही एक बीमारी थी। डा. अनुज भाटिया के पास इलाज कराने के बाद वह अब पूरी तरह से स्वस्थ है। डा. अमित भाटिया ने बताया कि इस तरह के कई और बच्चों का इलाज कर चुके हैं। वह राधा किशन अस्पताल में गत पांच वर्ष से हैं। अब तक बच्चों के करीब एक हजार छोटे-बडे ऑप्रेशन कर चुके हैं।