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    राम मंदिर, ऑपरेशन सिंदूर और नशा... पढ़ें ज्योतिसर में गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस पर पीएम मोदी की बड़ी बातें

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 07:27 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुरुक्षेत्र में गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है, जैसा कि गुरु तेग बहादुर ने किया। पीएम मोदी ने युवाओं में नशे की लत पर चिंता जताई और समाज से इसके खिलाफ लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया।

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    कुरुक्षेत्र में गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर पढ़े पीएम मोदी की मुख्य बातें।

    डिजिटल डेस्क, कुरुक्षेत्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ गुरु तेग बहादुर के जीवन से जुड़े प्रसंगों को देखा। पीएम ने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा भी टेका, दान किया और शबद-कीर्तन में भाग लिया। इसके बाद, पीएम मोदी ने 'जो बोले सो निहाल' के उद्घोष के साथ अपना भाषण शुरू किया।

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    पीएम मोदी ने कहा कि भारत की विरासत का अदभुद संगम बनकर आया है, आज सुबह मैं रामायण की नगरी आयोध्या में था और अब मैं गीता की नगर कुरुक्षेत्र में हूं। यहां हम सभी श्रीगुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर उन्हें नमन कर रहे हैं। इस आयोजन में हमारे बीच जो संत मौजूद हैं, जो संगत उपस्थित है। मैं आप सभी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। साथियों पांच-छह साल पहले एक और अदभुद संयोग बना था, मैं उसका जिक्र भी जरूर करना चाहता हूं।

    उन्होंने कहा कि 2019 में नौ नवंबर को जब राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया था तो उस दिन में करतार कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में था। मैं यही प्रार्थना कर रहा था कि राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो। हम सभी की प्रार्थना पूरी हुई और उस दिन राम मंदिर के पक्ष में निर्णय आया।

    धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ: पीएम

    उन्होंने आगे कहा कि अब आज आयोध्या में जब धर्म प्रजा की स्थापना हुई है तो मुझे सिख संगत से आशीर्वाद लेने का मौका मिला। कुछ देर पहले कुरुक्षेत्र की भूमि पर पंचजन्य का लोकार्पण भी हुआ है। इसी धरती पर खड़े होकर श्रीकृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा के सबसे बड़ा धर्म बताया था। उन्होंने कहा था कि स्वधर्म निधनं श्रेयः है। अर्थात सत्य के मार्ग पर अपने धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है।

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    गुरु तेग बहादुर ने भी सत्य न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना और इस धर्म की रक्षा उन्होंने अपने प्राण देकर करके इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार ने चरणों में एक स्मृति डाक टिकट और विशेष सिक्का भी समर्पित करने का सौभाग्य पाया है। मेरी कामना है कि हमारी सरकार गुरु परंपरा की इसी तरह निरंतर सेवा करती रहे। साथियों कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि सिख परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस भूमि का सौभाग्य देखिए सिख परंपरा के सभी गुरु अपनी पावन यात्रा के दौरान यहां आए।

    पीएम ने कहा कि जब नौंवी पातशाही गुरु तेग बहादुर जी इस भूमि पर पधारे तो उन्होंने अपने यहां निर्भीक साहस छोड़ी। इतिहास में विरले ही होते हैं। उनका जीवन उनका त्याग से भरा रहा है। मुगल अक्रांतों के उस काल में गुरु साहब ने वीरता का आदर स्थापित किया। शहीदी होने से पहले क्या हुआ था हम सब जानते हैं। कश्मीरी हिंदुओं को जबरन धर्मांतरण किया जा रहा था।

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    इस संकट के बीच पीड़ितों के एक दल ने गुरु साहब से सहयोग मांगा तब से गुरु साहब ने पीड़ितों को जवाब दिया था कि आप सब औरंगजेब को साफ-साफ कह दें यदि तेग बहादुर इस्लाम स्वीकार कर लें तो हम सब स्वीकार कर लेंगे। इस वाक्यों में उनकी निडरता नजर आती है। इसके बाद जिसकी आशंका थी वही हुआ औरंगजेब ने उन्हें बंदी बनवा दिया।

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुगल शासकों ने उन्हें प्रलोभन भी दिए लेकिन वह अडिग रहे। धर्म सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनका मन तोड़ने के लिए गुरु साहब को पथ से डिगाने के लिए उनके सामने उनके तीन साथियों की निर्ममता से हत्या की। लेकिन गुरु साहब अटल रहे उनका संकल्प अटल रहा। उन्होंने धर्म का रास्ता नहीं छोड़ा। उन्होंने धर्म की रक्षा में अपना शीष दे दिया।

    ऑपरेशन सिंदूर का भी किया जिक्र

    पीएम ने कहा कि हमारी गुरुओं की परंपरा हमारे राष्ट्र के चरित्र हमारी संस्कृति और मूल भावना का आधार है और मुझे संतोष है कि पिछले 11 वर्षों में हमारी सरकार ने इन पावन परंपराओं को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में शामिल किया है। गुरु साहिब ने सिखाया है कि जो नर दुख में दुख न माने, सो ही पूरण ज्ञानी। इसी प्रेरणा के साथ हमें हर चुनौती को पार करते हुए अपने देश को आगे ले जाना है। अपने भारत को विकसित बनाना है। गुरु साहिब ने हमें सिखाया है कि हम न किसी को डराएं और न किसी से डरकर जीयें। यही निर्भयता समाज व देश को मजबूत बनाती है।

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    उन्होंने कहा कि आज भारत भी इसी सिद्धांत पर चलता है। हम विश्व को बंधुत्व की बातें बताते हैं। हम शांति चाहते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करते। ऑपरेशन सिंदूर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। पूरी दुनिया देख रही है कि नया भारत न डरता है, न झुकता है और न ही आतंकवाद से डरता है। हम पूरी शक्ति से आगे बढ़ रहे हैं।

    युवाओं में बढ़ते नशे की लत को लेकर क्या बोले पीएम?

    प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इस अहम अवसर पर मैं हमारे समाज को युवाओं से जुड़े एक ऐसे विषय पर बात करना चाहता हूं, जिसकी चिंता गुरु साहब ने की थी। यह विषय नशे का है, ड्रग्स का है। नशे की आदत ने हमारे नौजवानों के सपनों को गहरी खाई में धकेल दिया है। सरकार इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सारे प्रयास कर रही है। लेकिन यह समाज और परिवार की भी लड़ाई है। ऐसे समय में गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षा हमारे लिए प्रेरणा और समाधान भी है।

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    जब गुरु साहिब ने आनंदपुर साहिब से अपनी यात्रा आरंभ की थी, तब उन्होंने अनेक गांवों में संगत को अपने साथ जोड़ा। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का आचरण बदला, गांवों में रहने वाले लोगों ने गुरु साहब के कहने पर नशे की खेती छोड़ी, गुरु महाराज के दिखाए इसी मार्ग पर चलते हुए यदि समाज, परिवार और युवा मिलकर नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का काम करें तो यह समस्या जड़ से खत्म हो सकती हैं। पीएम ने 'वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह' के साथ अपना संबोधन खत्म किया।