रत्नावली महोत्सव के अंतिम दिन हरियाणवी ग्रुप डांस ने दर्शकों का मन मोहा
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : मेरा इतना सुथरा पिया जी न लागै गीत पर ¨हदू कन्या महाविद्यालय की टीम ने ग्रुप डांस के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। राजकीय कालेज जींद की टीम ने मत जाओ पिया जी न लागे व डीएवी गर्ल्स कालेज यमुनानगर की टीम ने जोड़ बलमिया बेली आजा गीतों पर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव में आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के चौथे व अंतिम दिन हरियाणवी ग्रुप डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में राज्यभर से आई 11 टीमों ने भाग लिया। जितना भव्य अब तक यह महोत्सव रहा है ठीक उसी प्रकार की प्रतियोगिताएं भी यहां देखने को मिली हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : मेरा इतना सुथरा पिया जी न लागै गीत पर ¨हदू कन्या महाविद्यालय की टीम ने ग्रुप डांस के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। राजकीय कालेज जींद की टीम ने मत जाओ पिया जी न लागे व डीएवी गर्ल्स कालेज यमुनानगर की टीम ने जोड़ बलमिया बेली आजा गीतों पर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव में आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के चौथे व अंतिम दिन हरियाणवी ग्रुप डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में राज्यभर से आई 11 टीमों ने भाग लिया। जितना भव्य अब तक यह महोत्सव रहा है ठीक उसी प्रकार की प्रतियोगिताएं भी यहां देखने को मिली हैं। हरियाणवी ग्रुप डांस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शिव कुमार, डॉ. कुल¨वद्र कौर और डॉ. सुमन डांगी शामिल थे।
प्रतियोगिता में प्रदेशभर से आए युवा कलाकारों ने हरियाणवी ग्रुप डांस की विभिन्न विधाओं को मंचित कर दर्शकों का मन मोह लिया। मंच पर कलाकारों का जोश व हॉल में दर्शकों के उत्साह ने ऐसी जुगलबंदी की जिसका रत्नावली में आए प्रत्येक व्यक्ति ने आनंद उठाया। उत्सव के अंतिम दिन विभिन्न मंचों पर दर्शकों की भारी भीड़ रही।
हरियाणवी संस्कृति में रसिया शैली और पारंपरिक विधाओं को बखूबी तरीके से प्रतिभागियों द्वारा मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है। ग्रुप डांस प्रतियोगिता में आई गुरूनानक गर्ल्स कालेज की छात्राओं ने मेरे घर आए न भरतार गीत पर अपनी प्रस्तुति दी। डीएवी कालेज फार गर्ल्स, आर्य पीजी कालेज पानीपत, गर्वनमेंट कालेज जींद, ¨हदू कन्या महाविद्यालय जींद की टीमों ने भी प्रस्तुति देकर समा को बांधा। इस तरह की पारंपरिक विधाएं जैसे लोकगीत, रागिनी, वाद्य यंत्र प्रस्तुति और सांग और नृत्य जैसे विधाएं न सिर्फ युवाओं और दर्शकों को अपनी संस्कृति एवं इतिहास के समीप लाते हैं अपितु संस्कृति को आगे बढ़ाने में युवाओं को प्रेरित भी करते हैं।