जन्मकुंडली ही नहीं, बल्ड ग्रुप से जोड़िये जन्मों के रिश्ते
कुरुक्षेत्र ज्योतिष विज्ञान में कई ऐसी समस्याओं का समाधान छिपा है। जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : ज्योतिष विज्ञान में कई ऐसी समस्याओं का समाधान छिपा है। जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। विवाह के समय अक्सर कुंडली का मिलान करने की बात आपने जरूर सुनी होगी, लेकिन लड़का और लड़की के ब्लड ग्रुप के मिलान से भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है? कि भविष्य में वर और वधू का वैवाहिक जीवन किस तरह का व्यतित होने वाला है? यानी कह सकते हैं कि विवाह के समय कुंडली के साथ यदि ब्लड ग्रुप का भी मिलान कर लिया जाए तो वैवाहिक जीवन में किसी तरह की दिक्कतों से बचा जा सकता है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान संस्थान कुरुक्षेत्र के संचालक डा. पंडित रामराज कौशिक ने ज्योतिष विज्ञान को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है। कई साल के लंबे अनुसंधान के बाद डा. कौशिक ने अपनी रिसर्च पर कई धर्मगुरुओं, वैज्ञानिकों और डाक्टरों के साथ भी चर्चा की। अष्टकूट मिलान में वर्ण, वश्य, तारा, योनि, राशीश (ग्रह मैत्री), गण, भटूक और नाड़ी का मिलान किया जाता है। अब सिर्फ अष्टकूट मिलान ही काफी नहीं है। कुंडली में मंगल दोष भी देखा जाता है। फिर सप्तम भाव, सप्तमेश, सप्तम भाव में बैठे ग्रह, सप्तम और सप्तमेश को देख रहे ग्रह और सप्तमेश की युवती से विवाह योग बनते हैं। इतना कुछ मिलाने पर भी आज के वैज्ञानिक युग में ब्लड कुंडली मैच की जाएं तो परेशानी नहीं होगी।
आठ तरह के होते हैं ब्लड ग्रुप
डा. रामराज कौशिक के अनुसार ब्लड-ग्रुप आठ तरह के होते हैं। ए, बी, ए-बी और ओ पॉजिटिव या निगेटिव। ए पॉजिटिव रक्त समूह वाले लोग अच्छे तरीके से नेतृत्व कर सकते हैं। वे सबको साथ लेकर चलने और सबका विश्वास हासिल करने में यकीन रखते हैं। ए निगेटिव वाले लोगों को मेहनती माना जाता है। उनका चंद्रामा शुभ होता है। ए-बी पॉजिटिव वाले को आसानी से समझा नहीं जा सकता है। ए-बी निगेटिव रक्त समूह वाले लोगों का दिमाग बहुत तेज चलता है। ओ पॉजिटिव वाले लोग दूसरों की मदद करने के लिए होते हैं। ओ निगेटिव समूह के लोगों की सोच संकरी होती है। बी पॉजिटिव रक्त वाले लोगों का दिल दूसरों के लिए दरिया की तरह होता है। बी निगेटिव रक्त वाले लोगों की प्रवृत्ति ठीक नहीं मानी जाती है। कुंडली, स्वास्थ्य और खानपान के बारे में जानें
रामराज कौशिक के अनुसार यदि लड़के का रक्त समूह (ओ) है तो वह रक्त समूह (बी) की लड़की से शादी करें। इस ग्रुप की लड़कियां दूरदर्शी होती हैं। लड़के का ग्रुप बी है तो उसके लिए अच्छी जीवन संगिनी ग्रुप बी की लड़की होगी। ए ग्रुप के लड़के का दाम्पत्य जीवन ग्रुप ए की लड़की से बेहतर रहेगा। यदि महिला का ब्लड ग्रुप नेगेटिव और पुरुष का पॉजीटिव है और उनके बच्चे का ब्लड ग्रुप भी पॉजीटिव है तो समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। यदि लड़के का आरएच फेक्टर पॉजिटिव हो व लड़की का आरएच फेक्टर निगेटिव हो तो बच्चों में अनेक विकृतियां सामने आती हैं। निगेटिव ब्लड ग्रुप चंद्र, मंगल व गुरु के प्रभाव में रहता है। इनकी राहू, केतु और शनि से शत्रुता रहती है।

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