महाशिवरात्रि व्रत आरोग्यता व मोक्ष प्रदान करता है : डा. सुरेश मिश्रा
कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि व्रत भगवान शिव अराधना का प्रमुख व्रत और पर्व है। महाशिवरात्रि व्रत 11 मार्च 2021गुरुवार फाल्गुन मास त्रयोदशी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र शिव योग वणिज करण चंद्रमा मकर राशि में और सूर्य कुंभ राशि में मनाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि व्रत भगवान शिव अराधना का प्रमुख व्रत और पर्व है। महाशिवरात्रि व्रत 11 मार्च 2021,गुरुवार, फाल्गुन मास, त्रयोदशी तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, शिव योग, वणिज करण, चंद्रमा मकर राशि में और सूर्य कुंभ राशि में मनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि को भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती सहित समस्त परिवार की पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक करने से विशेष फल प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ संबंध है। यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। वह हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख शांति एवं ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। भगवान शिव की पूजा का पौराणिक व वैदिक विधान :
उन्होंने कहा कि इस दिन शिवभक्त, शिव मंदिरों में जाकर शिवलिग पर बेलपत्र आदि चढ़ाते, पूजन करते, उपवास करते तथा रात्रि को जागरण करते है। परमपिता शिव परमात्मा ही महान ज्ञान के सागर है जो मानव मात्र को सत्य ज्ञान द्वारा अंधकार से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विधान है। मान्यता है कि धन संपत्ति में वृद्धि के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए। इसके अतिरिक्त शहद और घी से भी रुद्राभिषेक करना शुभ फलदायी माना गया है। आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से रुद्राभिषेक करने से धन लाभ की मान्यता है। इस दिन भगवान शिव की शादी हुई थी इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है। ओम शिवाय: नम: मंत्र का जाप करते हुए शिवलिग पर चढ़ाएं दूध
ओम शिवाय: नम: मंत्र का जाप करते हुए शिवलिग पर जल एवं दूध से अभिषेक अवश्य करें। पूरे दिन सत्याचरण, संयमित व्यवहार और शुभ आचरण करें। रात्रि को सामूहिक रूप से अथवा अपने घरों में भगवान शिव के गुणगान करें। महारुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, भजन एवं गीत आदि के साथ रात्रि जागरण का विधान है। अगले दिन व्रत का परायण करें।
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