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    भाषा व साहित्य एक ही सिक्के के दो पहलू : डा. दहिया

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 17 Nov 2020 07:45 AM (IST)

    कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूजीसी मानव संसाधन विकास केंद्र व हिदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो सप्ताह तक चलने वाला ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स सोमवार ...और पढ़ें

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    भाषा व साहित्य एक ही सिक्के के दो पहलू : डा. दहिया

    जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूजीसी मानव संसाधन विकास केंद्र व हिदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो सप्ताह तक चलने वाला ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स सोमवार को शुरू हुआ। इसका विषय भाषाएं, साहित्य एवं सांस्कृतिक अध्ययन (भारत, इंग्लिश व विदेशी भाषाएं) है।

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    ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स (पुनश्चर्या पाठ्यक्रम) के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. भीम सिंह दहिया रहे। यूजीसी मानव संसाधन विकास केंद्र की निदेशक प्रो. नीरा वर्मा ने उनका परिचय कराया और मानव संसाधन विकास केंद्र की स्थापना से लेकर उनकी उपलब्धियों के बारे में सभी प्रतिभागियों को विस्तार से बताया।

    हिदी के विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष ने पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कला एवं भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. ब्रजेश साहनी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भाषाओं की प्रासंगिकता का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के परस्पर आदान-प्रदान से ही गंभीर विषयों व समस्याओं को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में सुगमता से हल किया जा सकता है। मुख्य वक्ता डा. भीम सिंह दहिया ने कहा कि भाषा व साहित्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। भाषा के साहित्य व साहित्य से संस्कृति व समाज की विकास प्रक्रिया को बोध होता है। भाषायी विकास का एकमात्र आधार भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के आपसी समन्वय में निहित है। इस समन्वय से विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के प्रथम सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि शब्द, भाषा, साहित्य व संस्कृति का मूल है। शब्दों की मूल से छेड़छाड़ करना शब्द के सकारात्मक अर्थ को अनर्थ करने के समान है।

    द्वितीय सत्र में कला एवं भाषा संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. नरविद्र सिंह कौशल ने वर्तमान संदर्भ में कथानक रूढि़यों की भाषा, साहित्य, संस्कृति व इलेक्ट्रानिक मीडिया में रूपातंरण की पेशकारी के महत्व व उनसे पैदा होने वाले नवीन अर्थो के विभिन्न आयामों को अपने वक्तव्य में पेश किया। ऑनलाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में भारत के विभिन्न प्रांतों के विश्वविद्यालयों व कालेजों से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का संचालन कोर्स कोर्डिनेटर व पंजाबी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. कुलदीप सिंह ने किया।