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    पैसे की कमी से विकास तो क्या सफाई भी नहीं होती गांव में

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 28 Jan 2018 07:37 PM (IST)

    संवाद सहयोगी, मथाना : प्रदेश सरकार गांवों के विकास के लिए धन की कमी नहीं आने देने की बा

    पैसे की कमी से विकास तो क्या सफाई भी नहीं होती गांव में

    संवाद सहयोगी, मथाना : प्रदेश सरकार गांवों के विकास के लिए धन की कमी नहीं आने देने की बातें कहती है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। जिन पंचायत की कोई आमदनी नहीं है, वे पंचायतें विकास कराने के लिए सरकार की ओर से ग्रांट मिलने की बाट देख रही हैं, लेकिन सरकार से उन्हें कुछ नहीं मिलता।

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    पिपली खंड विकास और पंचायत अधिकारी कार्यालय से कुछ दूरी पर ऐसा ही गांव छारपुरा है, जिसकी सालाना आमदन एक रुपया भी नहीं है। इससे इस गांव के निवासी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस गांव की आबादी करीब आठ सौ और वोटर 475 हैं। गांव की साक्षरता दर 80 प्रतिशत हैं। गांव में गोगामाड़ी और खेड़ा बाबा के दो धार्मिक स्थान हैं। वहां प्राय: धार्मिक आयोजन होते रहते हैं और उनमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। छारपुरा में अनुसूचित जाति की चौपाल और पंचायत घर है। इस समय गांवों के हालात बेहद खराब हैं। गांव में चारों ओर गंदगी पसरी है। गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला के पास तो और भी स्थिति खराब है। ग्रामीणों के अनुसार गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की निकासी की है और कई गलियां भी कच्ची हैं। थोड़ी सी बरसात होने पर कीचड़ भर जाता है। ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं दैनिक जागरण से इस प्रकार साझा किया :

    फोटो संख्या- 31

    प्रदूषण से निजात नहीं

    ग्रामीण नरेश कुमार ने कहा कि गांवों के लोग प्रदूषण से तंग हैं। पड़ोसी गांव बोडला की जमीन में बजरी और तारकोल के प्लांट हैं, जिससे प्रदूषण फैल रहा है। दिन-रात फैक्ट्रियों से धुआं निकलता रहा है। इससे लोग सांस के रोगी बन रहे हैं। इसकी शिकायत ग्राम पंचायत और स्वच्छता अभियान के अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    घरों में घुस रहा पानी

    फोटो संख्या- 32

    ग्रामीण रामफल ने बताया कि गांव में पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। गांव का जोहड़ ऊंचाई पर है और घर नीचे में हैं। ऐसे में जोहड़ में पानी नहीं जाता। इतना ही नहीं जोहड़ गंदगी से लबालब रहता है। मकानों की दीवारों के साथ पानी खड़ा है। गंदगी से बदबू भी आती है। इससे छुटकारा दिलाया जाए।

    फोटो संख्या- 33

    रास्ते कच्चे, आना-जाना मुश्किल

    ग्रामीण करनैल ने कहा कि गांव में खेतों के रास्ते कच्चे हैं। बरसात के दिनों में उन रास्तों पर कीचड़ और पानी भर जाता है। गांव की कई गलियां भी कच्ची हैं। सीजन में कच्चे रास्तों से गुजरने में बड़ी परेशानी होती है। सीजन के समय किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खेत के रास्ते पक्के होने चाहिए।

    फोटो संख्या- 34

    खेल के लिए मैदान तक नहीं

    रोहित ने कहा कि गांव मे युवाओं के खेलने के लिए स्टेडियम नहीं है। सरकार को चाहिए कि गांव में खेल स्टेडियम बनवाए और गांव में युवाओं के लिए ओपन जिम भी खोली जाए, ताकि युवा अपना शरीर फिट रख सकें।

    फोटो संख्या- 35

    गंदगी से भरी नालियां

    रणजीत ने कहा कि दूषित पानी की निकासी नहीं होने से गलियां और नालियां गंदगी से लबालब रहती हैं। उसके कारण लोग बीमार रहते हैं। सरकार स्वच्छता के नारे लगा रही हैं, परंतु गांव में आकर कोई नहीं देखता। गांव के पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार घूम रहे हैं और गलत आदतों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

    फोटो संख्या- 36

    विकास कार्य रुके

    सरपंच नसीब ¨सह ने कहा कि गांव की आमदनी एक रुपया भी नहीं है। दो साल में सरकार की ओर से गली के लिए एक लाख 40 हजार रुपये आए थे। आमदनी नहीं होने से ग्राम पंचायत गांव में विकास कार्य नहीं करा पा रही हैं। लोगों की मांग हैं कि गांव में बारात घर होना चाहिए और ग्राम पंचायत ने 18 जरूरतमंद परिवारों के नाम ग्रामसभा में पास कर मकान अनुदान के लिए उच्चाधिकारियों के पास भेज रखा हैं। वर्ष 2016 में गांव को स्वच्छता पुरस्कार भी मिला था।