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    कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने देश के टॉप-19 कथावाचकों को लिखा पत्र, महाभारत कथाओं को लेकर की ये अपील

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 11:56 PM (IST)

    कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) ने देश के शीर्ष कथावाचकों को पत्र लिखकर महाभारत काल की कथाओं में केडीबी के तीर्थों का सही उल्लेख करने का आग्रह किया है। केडीबी का मानना है कि सही स्थानों का उल्लेख करने से कथाओं की प्रामाणिकता बढ़ेगी और सनातन धर्म के अनुयायियों में धर्म के प्रति आस्था मजबूत होगी। केडीबी ने कथावाचकों को तीर्थों से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी भेजी है।

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    महाभारतकाल की कथाओं में तीर्थ स्थान का जिक्र करें- केडीबी

    जीतेंद्र सिंह जीत, कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने देश के टॉप 19 कथावाचकों को पत्र लिखा है। इस पत्र में केडीबी ने सभी कथा वाचकों से अपनी कथाओं में महाभारत काल की विभिन्न कथाओं में उन स्थानों का सही उल्लेख करने का अनुरोध किया है, जो केडीबी के तीर्थों में शामिल हैं।

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    पत्र में कहा गया है कि वे सभी अपनी कथाओं में पहले से ही महाभारत काल की घटनाओं का जिक्र करते हैं, लेकिन अधिकांश में महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार कहा जाता है। केडीबी अधिकारियों के अनुसार कथावाचक महाभारत का प्रसंग सुनाते समय घटना के सही स्थान का उल्लेख नहीं कर पाते।

    केडीबी ने सभी कथावाचकों से अनुरोध किया कि यदि वे सही स्थान के नाम का उल्लेख अपनी कथाओं में करेंगे तो कथा की सार्थकता और प्रामाणिकता दृढ़ होने के साथ-साथ सनातन प्रेमियाें में धर्म के प्रति आस्था प्रगाढ़ होगी और तथ्यों में एकरूपता बनी रहेगी।

    अभी तक कथा वाचक ये कहते आए हैं कि एक कथा के अनुसार या महाभारत काल में ऐसा हुआ था...आदि। वे ये नहीं बताते कि महाभारत काल में किस स्थान पर हुआ था। यदि उन्होंने केडीबी का अनुरोध मान लिया तो आगे से उनकी कथाओं में महाभारत काल के किस्सों में स्थान का भी सही उल्लेख सुनने को मिलेगा।

    क्या है पत्र लिखने का कारण

    पत्र लिखने का कारण यह है कि कथावाचकों को सही स्थान के बारे में कंफर्म नहीं होता है। कथावाचकों द्वारा सुनाए जाने वाले महाभारत के प्रसंगों के किस्सों में अधिकांश महाभारत युद्ध से जुड़े होते हैं और युद्ध कुरुक्षेत्र की 48 कोस भूमि में लड़ा गया था।

    इस 48 कोस की में केडीबी के फिलहाल 182 तीर्थ स्थल हैं। प्रत्येक तीर्थ स्थल का महाभारत का कोई न कोई प्रसंग जुड़ा हुआ है। इन्हीं के प्रसंग अकसर कथावाचक अपनी कथा के दौरान सुनाते हैं। ऐसे में केडीबी ने सभी तीर्थों के नाम, उनकी महाभारत से जुड़े होने के प्रसंग आदि की जानकारी भी केडीबी ने कथावाचकों को दी है।

    इन कथावाचकों को भेजा पत्र

    जिन 19 कथावाचकों को केडीबी द्वारा पत्र लिखा गया है, वे सभी देश के टाप कथावाचकों में हैं। इनमें जगतगुरु रामभद्राचार्य, आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी, मोरारी बापू, इंद्रेश उपाध्याय, देवकीनंदन ठाकुर, देवी चित्रलेखा, अनिरुद्धाचार्य महाराज, पं. प्रदीप मिश्रा, जया किशोरी, आचार्यश्री कौशिक महाराज, कृष्णचंद्र शास्त्री, मलूक पीठश्री राजेंद्र दास महाराज, संत उमेश नाथ महाराज, कृष्णप्रिया, प्रेम भूषण महाराज, पं. सुरेश मिश्रा, गिरी बापू और महंत राधेश्याम महाराज शामिल हैं।

    पत्र के साथ भेजी ये सामग्री

    केडीबी ने पत्र के साथ-साथ सभी कथावाचकों को एक सेट बनाकर भेजा है। इस सेट में केडीबी की 48 कोस कुरुक्षेत्र तीर्थ विवरणिका, रूट मैप, कैलेंडर, पोस्टर और कुछ अन्य किताबें आदि शामिल हैं।

    48 कोस कुरुक्षेत्र तीर्थ विवरणिका में सभी तीर्थों का फोटो के साथ संक्षिप्त विवरण, महाभारत काल से जुड़ाव का किस्सा दिया हुआ है। साथ ही प्रत्येक तीर्थ के साथ एक क्यूआर कोड है, जिसे स्कैन करके तीर्थ के बारे में विस्तृत जानकारी और पहुंचने का रोड मैप आदि आसानी से पता चल सकता है।

    करीब 15 दिन पहले हमने देश के 19 बड़े कथावाचकों को पत्र लिखकर अनुराेध किया है। केडीबी में जो 182 तीर्थ शामिल हैं, उनके बारे में हमारे पास पुराणों से प्राप्त प्रमाण है। कथावाचकों की कथाओं में महाभारतकाल के संदर्भ के किस्से सुनाए जाते हैं।

    यदि हमारे अनुरोध पर उन किस्सों में स्थान का उल्लेख करेंगे तो देशभर के लोगों को पता चलेगा कि वह स्थान आज भी है तो उसे देखने के लिए यहां देशभर से आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा।

    - उपेंद्र सिंघल, मानद सचिव, केडीबी, कुरुक्षेत्र।