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    Haryana News: जगदीश झींडा ने मीरी-पीरी अस्पताल का किया औचक निरीक्षण; महंगी दवाई को लेकर SGPC पर लगाए गंभीर आरोप

    हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के प्रधान जगदीश सिंह झींडा ने मीरी-पीरी इंस्टीट्यूट का निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल में महंगी दवाओं की शिकायतें पाईं और एसजीपीसी पर हरियाणा के चढ़ावे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। झींडा ने कहा कि मरीजों को महंगी दवाइयां खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है जबकि एसजीपीसी करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है। यह संगत के साथ धोखा है।

    By Dushyant Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Tue, 26 Aug 2025 12:20 PM (IST)
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    एसजीपीसी कर रही है संगत को गुमराह: झींडा, फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, शाहाबाद। हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के प्रधान जगदीश सिंह झींडा ने सोमवार को मीरी-पीरी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने मरीजों से बातचीत कर सुविधाओं का जायजा लिया और कई अहम मुद्दों को उजागर किया।

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    जगदीश सिंह झींडा ने कहा कि सोमवार को अस्पताल की ओपीडी में 500 से अधिक मरीज पहुंचे। बातचीत के दौरान यह गंभीर शिकायत मिली कि अस्पताल में मिलने वाली दवाइयां अत्यंत महंगी हैं। मरीजों ने कहा कि यहां दी जाने वाली कुछ दवाइयां बाहर की आम मार्केट से उपलब्ध ही नहीं होती और उन्हें मजबूरन अस्पताल से महंगे दामों पर खरीदना पड़ता है।

    झींडा ने एसजीपीसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा के मेडिकल संस्थान पर पंजाब से कोई आर्थिक सहयोग नहीं आया, बल्कि यह सब हरियाणा की संगत के चढ़ावे से ही संचालित हो रहा है।

    उन्होंने स्पष्ट किया कि नए भवनों का निर्माण भी बैंकों से कर्ज लेकर किया जा रहा है, लेकिन प्रचार यह किया जाता है कि पंजाब के श्रद्धालुओं का पैसा यहां खर्च हो रहा है, जो संगत के साथ धोखा है।

    उन्होंने कहा कि श्रद्धालु गुरु की गोलक में सेवा भावना से धन चढ़ाते हैं ताकि यह लंगर, शिक्षा और जरूरतमंदों की मदद में खर्च हो। परंतु एसजीपीसी महंगी दवाइयां बेचकर गरीब मरीजों पर बोझ डाल रही है।

    अब भी करोड़ों रुपये खर्च कर रही एसजीपीसी: कायमपुर

    मीरी पीरी इंस्टिट्यूट के ट्रस्टी बलदेव सिंह कायमपुर ने कहा कि एसजीपीसी अब भी हर महीने इस संस्थान पर करीब एक करोड़ 15 लाख रुपये खर्च कर रही है। आज से 15 साल पहले प्रदेश के गुरुद्वारों में गोलक का पैसा काफी था और तब गुरुद्वारों व सभी शिक्षण और मेडिकल संस्थाओं पर एसजीपीसी ही करोड़ों रुपये हर महीने खर्च करती थी।