गीता जयंती महोत्सव में सुनाई देंगे रामभद्राचार्य के प्रवचन, पहली बार हरियाणा आएंगे संत
कुरुक्षेत्र में आगामी अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में जगद्गुरु रामभद्राचार्य के प्रवचन होंगे। वे पहली बार हरियाणा आ रहे हैं। 26 से 30 नवंबर तक ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में कथा का आयोजन होगा। रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के जगद्गुरु हैं और पद्मविभूषण से सम्मानित हैं। अयोध्या मामले में उनकी गवाही महत्वपूर्ण रही थी।

हरियाणा में पहली बार गीता जयंती पर रामभद्राचार्य का प्रवचन का आयोजन किया गया है। फाइल फोटो
जीतेंद्र सिंह जीत, कुरुक्षेत्र। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में इस बार धर्मक्षेत्र के लोगों और जयंती में आने वाले पर्यटकों को जगद्गुरु रामभद्राचार्य की कथा सुनने का अवसर मिलेगा। वे पहली बार हरियाणा आ रहे हैं। केडीबी अधिकारियों ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को कथा के लिए आमंत्रित किया है और 26 से 30 नवंबर तक ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में कथा का आयोजन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि केडीबी अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के दौरान कथा का आयोजन करवाता है, जिसमें प्रसिद्ध कथावाचक अपने मुखारबिंद से कथा सुनाते हैं। पहले प्रदेश स्तरीय कथावाचकों द्वारा कथा करवाई जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा पहली बार हो रहा है कि गीता जयंती महोत्सव में राष्ट्रीय संत हिस्सा लेकर कथा सुनाएंगे। कथा पांच दिन चलेगी, जिसका आयोजन 26 से शुरू होकर 30 नवंबर तक चलेगा। इस कथा में भारी भीड़ जुटने की संभावना है, जिसके चलते केडीबी भी अपनी विशेष तैयारियों में जुटा हुआ है।
कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं।
इसके अलावा अयोध्या मामले में अदालत में उनकी गवाही अहम बनी थी, जिसके बाद वहां राम मंदिर होने के प्रमाण मिले थे, जिससे अदालत का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया था।
दो माह की आयु में खो दी थी नेत्र ज्योति
जगद्गुरु रामभद्राचार्य की आंखों की रोशनी मात्र दो माह की आयु में चली गई थी और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं, लेकिन अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया। वे कई भाषाओं के जानकार हैं और 22 भाषाएं बोलते हैं। उनकी भोजपुरी, संस्कृत, हिंदी सहित कई भाषाओं में रचनाएं हैं। 250 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना कर चुके हैं, जिनमें चार महाकाव्य शामिल हैं। इसी साल भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया है।
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