जन्म स्थान से अगली चिट्टी लिखूंगा : शहीद जगदीश कालड़ा
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : 2 सितंबर, 1965 को मसाना गांव निवासी भारतीय सेना का जवान जगदीश कालड़ा वार्षिक छुट्टियों में और बहन की शादी की तैयारी के लिए गांव आया था। 6 सितंबर का आल इंडिया रेडियो से दोपहर 1:40 मिनट पर एक बुलेटिन जारी हुआ।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : 2 सितंबर, 1965 को मसाना गांव निवासी भारतीय सेना का जवान जगदीश कालड़ा वार्षिक छुट्टियों में और बहन की शादी की तैयारी के लिए गांव आया था। 6 सितंबर का आल इंडिया रेडियो से दोपहर 1:40 मिनट पर एक बुलेटिन जारी हुआ। उसमें सभी सैनिकों की आपातकालीन छुट्टियां रद कर दी गईं। जगदीश कालड़ा यह सुनकर अपने दोस्तों की महफिल से तुरंत घर आए और अपना सामान एकत्रित कर पैक कर लिया। सामान को देखकर उनकी दादी ने कहा कि अपने माता-पिता से मिलते जाना, लेकिन जगदीश कालड़ा उन्हीं का आशीर्वाद लेकर लालडू स्थित अपनी यूनिट के लिए चल पड़े।
13 और 16 सितंबर को लिखे पत्रों में सबकुछ सही था। 19 सितंबर को पत्र आया कि उनकी जन्म भूमि (गांव मंडियाला चट्ठा पंजाब पाकिस्तान) केवल 20 किलोमीटर दूर है। अगली चिट्टी वहीं से लिखूंगा। शायद ये किस्मत को मंजूर नहीं था। 20 सितंबर को पाकिस्तान की तीसरी चौकी को फतेह करने की तैयारी में थे, तो दुश्मन से पीछे से इनके ऊपर ग्रेनेड फेंक दिया। जिसमें वे और उनके ग्रुप के सभी साथी वीरगति को प्राप्त हो गए। उस सपूत का वह सपना जन्म स्थान से लिखूंगा अगली चिट्ठी अधूरा ही रह गया।
मात्र 23 साल 11 माह ही उम्र में हो गया शहीद
जगदीश कालड़ा का जन्म 14 अक्टूबर 1941 को गांव मंडियाला चट्ठा पंजाब जो अब पाकिस्तान में स्थित है में हुआ था। वे बंटवारे के समय में कुरुक्षेत्र के गांव मसाना में आकर बस गए थे। जहां उनका परिवार काफी समृद्ध परिवारों में शामिल था। उनके पिता नंद लाल कालड़ा पंचायत समिति थानेसर के सदस्य थे और नंबरदार भी थे। 20 सितंबर 1965 को जब जगदीश कालड़ा ने अपने प्राणों की आहुति भारत माता की सेवा में दी उस समय उनकी उम्र मात्र 23 साल 11 माह थी। एक गली, एक पार्क का निर्माण कराया शहीद के नाम शहीद कालड़ा को कुरुक्षेत्र के वासी आज भी गर्व से याद करते हैं। उनके नाम उस समय की सरकार की ओर से शाहाबाद में रेलवे रोड को शहीद जगदीश चंद्र कालड़ा के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा थानेसर में लायलपुर बस्ती में बाइपास के पास जगदीश चंद्र कालड़ा के नाम से एक पार्क का निर्माण कराया गया। जिसका उद्घाटन तात्कालीन बिजली मंत्री देवेंद्र शर्मा ने किया था।